Uttarakhand
राज्य सरकार के दो मंत्रालयों की रस्साकसी से पंचायतों के उद्धार की फंसी योजना, अभी तक नहीं हो पाया फरमान जारी।
देहरादून – प्रदेश सरकार के दो मंत्रालयों की रस्साकसी से राज्य की 7950 ग्राम पंचायतों के उद्धार की योजना फंस गई है। पूरे उत्साह और तेजी के साथ योजना का रोडमैप तैयार करने में जुटे ग्राम्य विकास विभाग से यह महत्वाकांक्षी योजना वापस लेकर इसे पंचायती राज विभाग को देने का निर्णय ले लिया गया।
माना जा रहा है कि पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज की इच्छा के आगे सरकार को झुकना पड़ा। मगर शासन स्तर से इस संबंध में अभी तक कोई फरमान जारी नहीं हो पाया है। नतीजा यह है कि खुद पंचायती राज विभाग भी इस योजना को लेकर अंधेरे में है। एक योजना जिस पर अभी तक काम शुरू हो जाना चाहिए था, उसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
सामूहिक मांग पर आधारित योजना
ग्राम पंचायत संतृप्तीकरण योजना जन आकांक्षाओं और सामूहिक मांग पर आधारित है। यानी ग्रामसभाओं में ग्रामीणों के सहयोग से पंचायतों के अपने क्षेत्रीय संसाधनों और जरूरतों के हिसाब से दीर्घ और अल्पकालिक योजनाएं बनेंगी, जिन पर केंद्र और राज्य सरकार पोषित योजनाओं, जिला योजना व अन्य योजनाओं के माध्यम से तब तक कार्य होगा, जब तक वे पूरी नहीं हो जातीं। इस ग्राम विकास महायोजना के तहत एक से अधिक ग्राम पंचायतों के समान संसाधन, प्रकृति, उपजों और कौशल विकास पर आधारित कार्य के क्लस्टर तैयार किए जाएंगे, जिनमें विपणन की व्यवस्था भी होगी। योजना का मुख्य ध्येय स्थानीय जरूरत के हिसाब से प्रत्येक पंचायत के विकास का अपना मॉडल तैयार करना है।