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Uttarakhand UCC Bill passed in Assembly session Dhami government one step away law

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Uttarakhand UCC Bill passed in Assembly session Dhami government one step away law

पुष्कर सिंह धामी सरकार ने नागरिक संहिता विधेयक (यूसीसी-UCC)  विधेयक को विधानसभा सत्र में पारित कर दिया। मंगलवार को सदन के पटल में यूसीसी  विधेयक पेश किया गया था।  दो दिन की लंबी चर्चा के बाद सरकार ने बुधवार को यूसीसी विधेयक बहुमत के साथ पारित कर दिया। बीजेपी और कांग्रेस विधायकों के बीच सदन में चर्चा के दौरान जमकर वार पर पलटवार भी हुआ।

विधानसभा सत्र के तीसरे दिन की कार्रवाई शुरू होने के दौरान कांग्रेसी विधायकों ने जमकर सरकार पर हल्ला बोला। यूसीसी विधेयक पर संशोधन और सिफारिशों की मांग करते हुए विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की मांग की गई।

विदित हो कि मंगलवार को विधेयक पेश किए जाते समय सदन वंदे मातरम और जय श्री राम के नारों से सदन गूंज उठा था। स्पीकर ऋतु खंडूड़ी की मंजूरी के बादर मुख्यमंत्री धामी ने विधेयक प्रस्तुत किया था इससे उत्साहित भाजपा विधायकों ने कई बार फिर से वंदे मातरम् और जय श्री राम के नारे लगाने शुरू कर दिए।

पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी को जाएगा बिल

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने बताया कि यूसीसी बिल उत्तराखंड विधानसभा में पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि सदन में पारित होने के बाद पहले इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और उसके बाद राज्यपाल इस बिल की मंजूरी के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश करेंगे। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही यह बिल उत्तराखंड में लागू हो जाएगा।

यह भी पढ़ें:18 साल से पहले शादी पर सजा, संपत्ति में बेटी को समान अधिकार, UCC में महिलाओं के लिए वसीयत पर यह नियम

समान नागरिक संहिता के खास बिंदू

शादी की उम्र –
सभी धर्मों की लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 निर्धारित

विवाह पंजीकरण – शादी के छह माह के भीतर अनिवार्य तौर पर कराना होगा विवाह पंजीकरण

 तलाक – पति जिस आधार पर तलाक ले सकता है, उसी आधार पर अब पत्नी भी तलाक की मांग कर सकेगी

बहु विवाह – पति या पत्नी के रहते दूसरी शादी यानि बहु विवाह पर सख्ती से रोक रहेगी

उत्तराधिकार – उत्तराधिकार में लड़के और लड़कियों को बराबर अधिकार मिलेगा

लिव इन रिलेशनशिप – लिव इन में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, विवाहित पुरुष या महिला नहीं रह पाएंगे लिव इन में

अधिकार क्षेत्र – राज्य का स्थायी निवासी, राज्य या केंद्र सरकार के स्थायी कर्मचारी, राज्य में लागू सरकारी योजना के लाभार्थी पर लागू होगा

हमारी सरकार ने पूरी जिम्मेदारी के साथ समाज के सभी वर्गों को साथ लेते हुए समान नागरिक संहिता का विधेयक विधानसभा में पेश कर दिया है। देवभूमि के लिए वह ऐतिहासिक क्षण निकट है जब उत्तराखंड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन एक भारत, श्रेष्ठ भारत का मजबूत आधार स्तम्भ बनेगा।

पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

यूसीसी विधेयक का सदन में पेश होना ऐतिहासिक घटना है। उत्तराखंड ऐसा पहला प्रदेश बनने जा रहा है जो यूसीसी को लागू करेगा। यह समूचे प्रदेश के लिए गौरव का क्षण है। यूसीसी में महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इससे समाज में शोषित और कमजोर महिलाओं को हक मिलेगा। उन्हें शादी, संपत्ति और उत्तराधिकार के अधिकार मिलने जा रहे हैं।

ऋतु खंडूड़ी, विधानसभा अध्यक्ष

यूसीसी विधेयक महिलाओं के सशक्तिकरण और देश में एक समान कानूनी अधिकार लागू करने के सपने को साकार करने वाला है। इस प्रगतिशील कानून से राज्य के अंदर महिलाओं और बच्चों को वे सभी अधिकार मिल जाएंगे जिनसे उन्हें पिछले 75 सालों से वंचित रखा गया था। यह विधेयक सभी धर्म और जातियों को एक नजर से देखता है।

महेंद्र भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

वर्ष 2016 में विधि आयेाग ने यूसीसी के विचार को खारिज कर दिया था। वर्ष 2021 में एक बार फिर से केंद्र सरकार ने विधि आयोग का गठन किया है। ऐसे में राज्य सरकार के विधेयक का औचित्य क्या रहेगा? प्रदेश की चार प्रति जनजाति वर्ग को इससे अलग कर सरकार ने समानता के अधिकार से वंचित कर दिया है। दूसरे राज्यों से विवाह करने वालों के मामले में क्या होगा, यह भी स्पष्ट नहीं है। इस विधेयक को पारित करने के बजाए प्रवर समिति को सौंपा जाना चाहिए।

यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष

यूसीसी विधेयक संविधान का सरासर उल्लंघन है। संविधान के अनुच्छेद 44 ने इसका स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार इस विषय पर प्रयास करेगी। यहां भी केवल और प्रयास की बात कही गई है। यहां सरकार इसे थोपना चाह रही है। सरकार ने विपक्ष को विधेयक के अध्ययन के लिए पर्याप्त समय तक नहीं दिया है। मैं विधेयक का अध्ययन कर रहा हूं। बुधवार को विस्तृत रूप में अपनी बात रखूंगा।

मोहम्मद शहजाद, बसपा विधायक

विधेयक की विशेषताएं

शादी की उम्र


सभी धर्मों की लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 निर्धारित की गई है। अभी कुछ धर्मों में इससे कम उम्र में लड़कियों की शादी हो जाती है।

विवाह पंजीकरण 

शादी के छह माह के भीतर अनिवार्य तौर पर सब रजिस्ट्रार के पास विवाह पंजीकरण कराना होगा, पंजीकरण नहीं कराने पर 25 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

तलाक 

समान नागरिक संहिता में पति-पत्नी के लिए तलाक के कारण और आधार एक समान कर दिए गए हैं। अभी पति जिस आधार पर तलाक ले सकता है, उसी आधार पर अब पत्नी भी तलाक की मांग कर सकेगी। 

बहु विवाह

पति या पत्नी के रहते दूसरी शादी यानि बहु विवाह पर सख्ती से रोक रहेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक अभी मुस्लिम पर्सनल लॉ में बहुविवाह करने की छूट है लेकिन अन्य धर्मों में एक पति-एक पत्नी का नियम बहुत कड़ाई से लागू है। 

वसीयत

कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी संपत्ति की वसीयत कर सकता है। समान नागरिक संहिता लागू होने से पूर्व मुस्लिम, ईसाई एवं पारसी समुदायों के लिए वसीयत के अलग-अलग नियम थे, जो अब सभी के लिए समान होंगे। 

उत्तराधिकार

उत्तराधिकार में लड़कियों और लड़कों को बराबर अधिकार प्रदान किया 

गया है। संहिता में सम्पत्ति को सम्पदा के रूप में परिभाषित करते हुए इसमें सभी तरह की चल-अचल, पैतृक सम्पत्ति को शामिल किया गया है।   

लिव इन रिलेशनशिप

लिव इन में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, विवाहित पुरुष या महिला लिव इन में नहीं रह पाएंगे। इसके लिए जोड़ों को लिव इन में रहने की स्वघोषणा करनी पड़ेगी। लिव इन से पैदा होने वाले बच्चे को सम्पूर्ण अधिकार दिए गए हैं।

अधिकार क्षेत्र

राज्य का स्थायी निवासी, राज्य या केंद्र सरकार के स्थायी 

कर्मचारी, राज्य में संचालित सरकारी योजना के लाभार्थी पर लागू होगा। राज्य में न्यूनतम एक साल तक रहने वाले लोगों पर भी यह कानून लागू होगा। 


 



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