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Uttarakhand

Ola-Uber के बाद तीन और ऑनलाइन टैक्सी सर्विस से सफर करेंगे यात्री, किराये को लेकर भी हुआ फैसला

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Ola-Uber के बाद तीन और ऑनलाइन टैक्सी सर्विस से सफर करेंगे यात्री, किराये को लेकर भी हुआ फैसला

ओला-उबर की तर्ज पर उत्तराखंड में तीन और कंपनियों को ऑनलाइन टैक्सी बुकिंग (ऐप बेस्ड) सर्विस शुरू करने की मंजूरी मिल गई। कुल्हान स्थित परिवहन मुख्यालय में राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) की मंगलवार को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। 

हल्द्वानी की हीटोहिट सोल्यूशन को थ्री व्हीलर सेवा व एंबुलेंस सेवा के लिए जबकि चमोली की रूपकुंड पर्यटन विकास समिति व देहरादून की रोपन ट्रांसपोर्टेशन सर्विस के ऑनलाइन टैक्सी बुकिंग के लाइसेंस के आवेदनों को स्वीकृति दी गई है।

बैठक के बाद एसटीए सचिव एसके सिंह ने लिए गए फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लाइसेंस आवेदन के साथ ही कुछ और अहम निर्णय लिए गए। वाहनों की मॉडल सीमा तय करने को गठित पठोई कमेटी की रिपोर्ट भी बैठक में रखी गई। 

इसकी सिफारिशों पर चर्चा के बाद कमेटी को फिर रिपोर्ट का परीक्षण करते हुए सभी श्रेणी के वाहनों को इसमें शामिल करने को कहा गया। यात्री वाहनों का किराया प्रतिवर्ष बढ़ाने का प्रस्ताव अगली बैठक में रखा जाएगा।

एसटीए की बैठक के अन्य फैसले

1. वैधता खत्म होने के बाद विलंब से परमिट निरस्त कराने पर तीन श्रेणियों में शुल्क होगा माफ

2. वाहन का परमिट रिन्यू होने के दौरान पूर्व के चालान पर लगने वाले शुल्क को लेकर एसटीए ने दी राहत, संशोधित होगा आदेश

3. देहरादून के आईएसबीटी को बस अड्डे के रूप में अधिकृत करने के प्रस्ताव को मंजूरी

परिवहन सचिव बोले, जो जनता के हित में होगा वो फैसला लूंगा

राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) की बैठक में ऑनलाइन वाहन सुविधा मुहैया कराने वाली कंपनियों के लाइसेंस प्रस्तावों को मंजूरी देने का विरोध भी हुआ। बस, टैक्सी, मैक्सी यूनियनों के तल्ख विरोध को देखते हुए एक बार एसटीए अध्यक्ष एवं परिवहन सचिव बृजेश कुमार संत का भी पारा चढ़ गया। 

उन्होंने दो टूक कहा कि एग्रीगेटर पॉलिसी के तहत कोई भी व्यक्ति इस प्रकार की सुविधा शुरू कर सकता है और यहां मैं जनहित और राज्यहित में फैसला लेने के लिए बैठा हूं, जो जनता के हित में होगा, वो फैसला ही लूंगा, किसी के व्यक्ति के हित में नहीं।

मंगलवार को देहरादून स्थित परिवहन मुख्यालय पर आयोजित बैठक में हंगामे की शुरुआत तब हुई, जब ऑनलाइन वाहन सुविधा देने वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों ने अपना पक्ष रखना शुरू किया। 

इस दौरान वहां मौजूद उत्तराखंड टैक्सी मैक्सी महासंघ के अध्यक्ष सुंदर सिंह पंवार, देहरादून महानगर सिटी बस सेवा सोसायटी के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल और टैंपो यूनियन के प्रतिनिधियों ने तत्काल आपत्ति जता दी। विरोध जताते हुए कहा कि राज्य में ऑनलाइन वाहन सेवा शुरू करना गलत है। 

इससे स्थानीय परिवहन कारोबारियों की कमर टूट जाएगी। उनका काम छिन जाएगा। बड़ी कंपनियां मोटा कमीशन वसूलती हैं। कंपनियों को लाइसेंस दिए गए तो विरोध किया जाएगा। उन्होंने प्रदेश स्तर पर हड़ताल की भी चेतावनी दी। टैंपो यूनियन के प्रतिनिधियों ने कहा कि दून और हरिद्वार में पहले ही हजारों छोटे सवारी वाहन चल रहे हैं। 

एसटीए अध्यक्ष संत ने सभी को समझाने का प्रयास किया, लेकिन विरोध शांत नहीं होने पर उन्होंने खरी-खरी सुनाने से गुरेज न किया। उन्होंने कहा कि आज दौर प्रतिस्पर्धा और बेहतर से बेहतर सुविधाएं देने का है। जितनी प्रतिस्पर्धा होगी, जनता को उतनी सुविधा मिलेगी, जो विरेाध कर रहे हैं, वो भयभीत न हों बल्कि खुद भी ऐसा ही प्रयास करें।

फैसले का विरोध-प्रदर्शन लोकतांत्रिक अधिकार आंदोलन की चेतावनी मिलने पर संत ने सख्ती से कहा, ‘किसी फैसले के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करना, असहमति जताना लोकतांत्रिक अधिकार है। निर्णय वहीं होगा, जो जनता के हित में होगा। मैंने तय कर लिया है और फैसला आज ही होगा।’

मुश्किल में फंसे तो ऑनलाइन एंबुलेंस सेवा की ठानी

देहरादून। हल्द्वानी में हीटो-हिट सोल्यूशन के संचालक दीपचंद्र पांडे ने ऑनलाइन वाहन सुविधा मुहैया कराने के पीछे अपने उद्देश्य को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि एक बार अपनी माता को उपचार के लिए अस्पताल ले जाने के लिए उन्हें वाहन नहीं मिला। 

उस वक्त के कड़वे अनुभव से उन्होंने प्रण किया कि वो आम लोगों को सस्ती और सहज एंबुलेंस सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रयास करेंगे। पांडे ने कहा कि वो तिपहिया और एंबुलेस सेवा शुरू करना चाहते हैं। अभी उनकी 200 एंबुलेंस और 500 तिपहिया वाहनों के साथ कंपनी शुरू करने की योजना है।

सरकारी नियंत्रण रहेगा

एसटीए सचिव सनत कुमार सिंह ने कहा कि ऑनलाइन सेवाएं देने वाली एजेंसियों पर परिवहन विभाग सख्ती से नियंत्रण भी रखेगा। यदि वो जनहित के खिलाफ कार्य करेंगे या यात्रियों को तय सेवाएं नहीं देंगे तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

विलंब से निरस्त परमिट पर तीन श्रेणियों में राहत

वैधता खत्म होने के बाद के परमिट निरस्त कराने की प्रक्रिया को आसान करने को भी मंजूरी मिल गई है। एसटीए सचिव एसके सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा जब्त वाहनों की नीलामी होने पर खरीदार को परमिट को निरस्त कराने का शुल्क नहीं देना होगा। 

जिस वाहन के परमिट को प्राधिकरण द्वारा निरस्त किया जाता है, उनपर भी विलंब से निरस्त कराने का शुल्क मान्य नहीं होगा। विरासत में मिलने वाले वाहन का परमिट निरस्त कराने पर भी विलंब शुल्क से राहत मिलेगी।

चालान शुल्क में भी राहत

परमिट की शर्तों के उल्लंघन पर हुए चालानों पर ही परमिट का नवीनीकरण कराते वक्त प्रति चालान एक-एक हजार रुपये को शुल्क मान्य होगा। पार्किंग आदि अन्य मामलों में होने वाले चालानों में शुल्क नहीं देना होगा। 

एसटीए सचिव के अनुसार, हाल में बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आए हैं। इनमें परिवहन विभाग के साथ-साथ पुलिस द्वारा किए सामान्य चालान के आधार पर भी परमिट के नवीनीकरण के वक्त शुल्क तय किया गया था।

देहरादून आईएसबीटी बस अड्डे के रूप में अधिकृत

एसटीए ने देहरादून आईएसबीटी को बस अड्डे के रूप में अधिकृत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। बस अड्डे के संचालन में होने वाले खर्च और बसों से एंट्री आदि का शुल्क नए सिरे से तय किया जाएगा। इसके लिए सचिव आवास को प्रस्ताव भेजा जा रहा है।

सभी लोग अपने सुझाव दें, जो भी राज्यहित में उचित होगा किया जाएगा। सरकारी स्तर पर ऑनलाइन प्लेटफार्म बनाने का सुझाव आया है, उस पर भी विचार किया जाएगा। एसटीए का मुख्य उद्देश्य आम आमदी को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराना है। इससे कोई समझौता नहीं होगा।

बृजेश कुमार संत, अध्यक्ष, एसटीएस एव सचिव-परिवहन

सरकार को चाहिए कि परिवहन सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों के बजाय खुद का ऑनलाइन सिस्टम तैयार करे। राज्य का हर वाहन संगठन सरकारी सिस्टम से सहर्ष जुड़ेगा, लेकिन इस प्रकार प्राइवेट कंपनियों को लाइसेंस दिया गया तो हर स्तर तक विरेाध किया जाएगा।

सुंदर सिंह पंवार, अध्यक्ष, उत्तराखंड टैक्सी मैक्सी महासंघ



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