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Uttarakhand

गंगोत्री धाम के कपाट आज होंगे बंद, चारों धामों के कपाट बंद की प्रक्रिया भी हुई शुरू।

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गंगोत्री धाम – शीतकाल के लिए चारधामों के कपाट बंद करने की तैयारियां शुरू हो गयी है। आज गंगोत्री धाम के कपाट बंद होंगे। अब तक चारधाम यात्रा में 55.65 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।

शीतकाल के लिए चारधामों के कपाट बंद करने की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। सबसे पहले गंगोत्री धाम के कपाट आज बंद होंगे, जबकि 15 नवंबर को बाबा केदार और यमुनोत्री मंदिर के कपाट विधि विधान से बंद होंगे।

बदरीनाथ धाम के कपाट 18 नवंबर को बंद होंगे। इससे पहले बदरीनाथ में पंच पूजा की रस्में निभाई जाएंगी। इस बार 22 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने से चारधाम यात्रा का आगाज हुआ।

25 अप्रैल को केदारनाथ और 27 अप्रैल को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से यात्रा पूर्ण रूप से संचालित हुई। प्रदेश सरकार ने यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया है। इसमें 75 लाख तीर्थयात्रियों पंजीकरण कराया है। अब तक 56.65 लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। जो चारधाम यात्रा के इतिहास में नया रिकॉर्ड है।

बदरीनाथ, केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की तैयारियां शुरू हो गईं है। 15 नवंबर को सुबह साढ़े आठ बजे बाबा केदार के कपाट बंद होंगे। जिसके बाबा केदार की पंचमुखी डोली ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी।

चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं ने नया रिकॉर्ड बनाया है। 55.65 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। कपाट बंद होने के दिन बाबा केदार के लिए 750 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण किया है।

22 नवंबर को द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट बंद होंगे : द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट 22 नवंबर को बंद होंगे। हेमकुंड साहिब के कपाट 11 अक्तूबर को बंद हो चुके हैं, जबकि चतुर्थ केदार रुद्रनाथ के कपाट 18 अक्तूबर और तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट एक नवंबर को बंद हो चुके हैं।

बदरीनाथ के कपाट बंद करने से पहले होगी पंच पूजा
बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद करने से पहले आज से पंच पूजा की जाएगी। 14 नवंबर को दिनभर पूजा-अर्चना कर शाम को गणेश के कपाट बंद होंगे। 15 नवंबर दोपहर के समय आदि केदारेश्वर मंदिर, आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद होंगे। 16 नवंबर तीसरे दिन खडग पुस्तक पूजन के बाद वेद का पाठ बंद हो जाएगा। 17 नवंबर को माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना कर कढ़ाई भोग लगेगा। 18 नवंबर को रावल स्त्री भेष धारण कर लक्ष्मी माता को बदरीनाथ के सानिध्य में रखेंगे। इसके बाद विधि विधान से शाम तीन बजकर 33 मिनट पर कपाट बंद होंगे।

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