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उत्तराखंड विधानसभा में सशक्त भू-कानून विधेयक पास , यहाँ पढ़े क्या हुआ बदलाव….

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उत्तराखंड विधानसभा में सशक्त भू-कानून विधेयक पास , यहाँ पढ़े क्या हुआ बदलाव….





देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा मे सशक्त भू-कानून विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 में संशोधन करने संबंधी विधेयक को विधानसभा में प्रस्तुत किया। इस दौरान उन्होंने विधेयक में किए गए संशोधनों पर विस्तार से बात की और राज्य की भूमि व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाए गए कदमों को स्पष्ट किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में भूमि माफियाओं से जमीनों को बचाने और उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए यह बदलाव किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों में देखा गया कि विभिन्न उपक्रम स्थापित करने और स्थानीय लोगों को रोजगार देने के नाम पर ज़मीनों का दुरुपयोग किया जा रहा था। इस संशोधन से ना सिर्फ इस पर रोक लगेगी, बल्कि असल निवेशकों और भू-माफियाओं के बीच अंतर को पहचानने में भी मदद मिलेगी।

सीएम ने यह भी बताया कि इस सशक्त भू-कानून के लिए सरकार तीन साल से काम कर रही थी। 2022 में, मुख्यमंत्री ने पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसने 5 सितंबर 2022 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। समिति ने 23 सिफारिशें कीं, जिनके आधार पर इस संशोधन को लागू किया जा रहा है।

विधेयक में हुए बदलाव के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:

  • हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर को छोड़कर बाकी 11 जिलों में राज्य के बाहर के व्यक्ति कृषि और बागवानी के लिए भूमि नहीं खरीद सकेंगे।
  • नगर निकाय क्षेत्रों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में बाहरी राज्यों के व्यक्ति केवल एक बार 250 वर्ग मीटर भूमि आवासीय प्रयोजन के लिए खरीद सकेंगे, और इसके लिए उन्हें शपथपत्र देना होगा।
  • औद्योगिक प्रयोजन के लिए भूमि खरीदने के नियम यथावत रहेंगे।
  • हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में कृषि-औद्यानिकी भूमि खरीदने के लिए अब जिलाधिकारी के स्तर से नहीं, बल्कि शासन स्तर से अनुमति प्राप्त करनी होगी।
  • 11 जनपदों में 12.5 एकड़ भूमि की सीलिंग को खत्म कर दिया गया है।
  • खरीदी गई भूमि का उपयोग निर्धारित प्रयोजन से इतर करने पर रजिस्ट्रार को शपथपत्र देना होगा। अगर भूमि का दुरुपयोग हुआ तो वह भूमि सरकार के पास लौट जाएगी।
  • भूमि खरीद की प्रक्रिया की निगरानी अब पोर्टल के माध्यम से की जाएगी, और सभी जिलाधिकारी राजस्व परिषद को नियमित रूप से रिपोर्ट भेजेंगे।

 





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