Delhi
दिल्ली में डीजल चालित बसें ना भेजें, आप ने पड़ोसी राज्यों से क्यों किया अनुरोध?

दिल्ली सरकार ने पड़ोसी राज्यों को चिट्ठी लिखर अनुरोध किया है कि राजधानी में डीजल चालित बसें ना भेंजे। जानिए वजह।
दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के परिवहन मंत्रियों को चिट्ठियां लिखी हैं। इसमें उन्होंने आग्रह किया है कि राजधानी में ग्रैप-2 से जुड़े प्रतिबंध लागू होने के कारण अपने राज्यों से दिल्ली में डीजल चालित बसें ना भेंजे। दिल्ली में बढ़ते पलूशन को देखते हुए आज सुबह 8 बजे से ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान का दूसरा चरण लागू हो गया है। राय ने पलूशन रोकने के कई ऐलान किए हैं; जैसे धूल को कंट्रोल करने के लिए पानी की बौछार करना,यातायात से जुड़े अतिरिक्त कर्मियों की तैनाती आदि।
पत्र लिखकर डीजल बसें ना भेजने का किया आग्रह
राय ने अपने पत्र में लिखा है कि राजधानी दिल्ली में पलूशन का एक बड़ा कारण गाड़ियों से निकलने वाला धुआं भी है। इन राज्यों से बड़ी संख्या में दिल्ली पहुंचने वाली डीजल बसे भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने बताया कि डीजल से निकलने वाले धुएं से होने वाली समस्या सर्वविदित हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में दिल्ली पहुंच रही ऐसी बसें दिल्ल की हवा खराब करती हैं और निवासियों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालती हैं।
बसों के प्रवेश के अलावा अन्य विकल्पों की रखी बात
उन्होंने कहा कि दिल्ली पहले से ही पलूशन की मार झेल रही है। अन्य राज्यों से आने वाली डीजल बसें इसमें अतिरिक्त बोझ बन रही हैं। इससे यहां की स्थिति और भी खराब हो रही है। राय ने कहा कि हम आपसे अनुरोध करते हैं कि दिल्ली में डीजल बसों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाएं या उनके उत्सर्जन मानकों को कंट्रोल करने के लिए कड़े नियमों पर विचार करें। मंत्री ने सीएनजी को अपनाने या अंतरराज्यीय परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक बसों के उपयोग के साथ-साथ उत्सर्जन मानदंडों के सख्त प्रवर्तन जैसे अधिक प्रभावी समाधानों के कार्यान्वयन के लिए सामूहिक रूप से काम करने की पेशकश की। ताकि देश की राजधानी में पलूशन को कंट्रोल किया जा सके।