Uttar Pradesh
आखिर कहां गायब हो गईं 15 अरब अठन्नियां? बाजारों में लेन देन से गायब
फिजूलखर्च लोगों के लिए अक्सर ‘आमदनी अठन्नी-खर्चा रुपैया’ मुहावरा सुना होगा। यह मुहावरा तो कायम है पर अठन्नी गायब हो गई है। चाय-पान के ठेलों में भी अब अठन्नी नहीं दिखती। उधर, रिजर्व बैंक के आंकड़े बता रहे हैं कि बाजार में लगभग 15 अरब (1478 करोड़) अठन्नियां हैं। यह गुल्लकों, दानपात्रों, दुकानों के गल्लों में हैं या फिर गला दी गईं, कोई नहीं जानता। बाजारों में यह लेन-देन से गायब है।
इसी चार अक्तूबर को रिजर्व बैंक ने प्रचलित नोट और सिक्कों की ताजी रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक वर्तमान में कुल 134 अरब सिक्के बाजार में हैं। इनका मूल्य 348 अरब रुपये है। इनमें सबसे छोटा सिक्का 50 पैसे का है। रिजर्व बैंक ने 700 करोड़ रुपये मूल्य की अठन्नियां बाजार में उतार रखी हैं, पर इनका दिखना दुर्लभ है। अठन्नी तो दूर अब एक रुपये का नया छोटा स्टील का सिक्का भी प्रचलन में बेहद कम है। यह ज्यादातर नेग देने वाले लिफाफों में चिपका मिलता है।
सबसे कम सिक्के 20 रुपये वाले
मूल्यवर्ग संख्या मूल्य
दो रुपये 3602 करोड़ 7206 करोड़
पांच रुपये 2104 करोड़ 10,524 करोड़
दस रुपये 755 करोड़ 7558 करोड़
20 रुपये 175 करोड़ 3506 करोड़
गुलाबी नोट बदलने में सिरदर्द बने सिक्के
रिजर्व बैंक 2000 रुपये का एक नोट बदलने पर 250 रुपये के सिक्के देता है। हालांकि इनमें अठन्नी नहीं होती। मौजूदा समय में एक रुपये के छोटे सिक्के दिए जा रहे हैं। सिक्के ज्यादातर रिजर्व बैंक से सीधे नयागंज बाजार पहुंचते हैं, जहां सौ सिक्कों के बदले 90 या 85 रुपये के नोट मिलते हैं।
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन के सचिव प्रवीण मिश्रा ने कहा कि अठन्नी आरबीआई की सबसे छोटी वैध मुद्रा है। बाजार ने इसका प्रचलन बंद कर दिया है। यह कानूनी रूप से गलत है।