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प्रदूषण के मुद्दे पर CM आतिशी को LG का चार पन्नों का पत्र, बोले- ना तो जवाब दिया जा रहा ना समाधान

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प्रदूषण के मुद्दे पर CM आतिशी को LG का चार पन्नों का पत्र, बोले- ना तो जवाब दिया जा रहा ना समाधान


दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण के मुद्दे पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बुधवार को मुख्यमंत्री आतिशी को चार पेज का एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कुल 16 बिन्दुओं में अपनी बात रखी। पत्र में उन्होंने एकबार फिर दिल्ली को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर के रूप में चिह्नित किए जाने पर सवाल उठाया, साथ ही बताया कि इस घातक प्रदूषण का लोगों के जीवन पर बहुत खतरनाक असर पड़ रहा है और इससे उनका जीवन भी कम हो रहा है। एलजी ने सीएम को बताया कि वे समय-समय पर इस मुद्दे की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करवाते रहे हैं, लेकिन कुछ हल नहीं निकला।

सक्सेना ने 16 बिंदुओं में बताई प्रदूषण की समस्या

उपराज्यपाल ने विभिन्न मुद्दों को उठाते हुए पत्र में लिखा, ‘प्रिय आतिशी जी, जैसे-जैसे हम त्योहारों के मौसम में प्रवेश कर रहे हैं और एक दशक पहले तक इसे “गुलाबी सर्दी” कहा जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। हम एकबार फिर काले वायु प्रदूषण,ग्रे आसमान और उस भयानक घुटन भरे एहसास को देख रहे हैं। जब मैं आपको लिख रहा हूं, तब शहर के कई इलाकों का AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 400 के करीब पहुंच चुका है। पवित्र छठ पूजा के करीब आते ही यमुना में प्रदूषण की दयनीय स्थिति टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर देखी जा सकती है।’

2. अस्पतालों और OPD में सांस की समस्याओं की शिकायत करने वाले रोगियों की भरमार, लोगों को घर के अंदर रहने की सलाह, नकारात्मक समाचार रिपोर्ट और निश्चित रूप से वे अप्रिय दोषारोपण, फिर से शुरू हो गए हैं, जैसा कि पिछले दशक के दौरान हुआ था।

3. हमें फिर से दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, इस घातक वायु प्रदूषण के कारण शहर के लोगों विशेष रूप से गरीबों की आयु, ना केवल कम कर हो रही है, बल्कि वे आजीविका का नुकसान भी झेल रहे हैं। बीते सालों की तरह प्रदूषण पर ना तो कोई ठोस जवाब दिया जा रहा है और ना ही कोई समाधान दिया जा रहा है।

4. भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के उपराज्यपाल के रूप में पिछले दो सालों में मेरा यही अनुभव रहा है। अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए मैंने कई अवसरों पर स्थिति की समीक्षा की, पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को निवेदन पत्र लिखे और उन्हें हमारे अपने मुख्यमंत्री, आपके पूर्ववर्ती को भी भेजा।

5. अब जबकि राजधानी प्रदूषित हवा के कारण हांफने लगी है, जो आगे बढ़ने के साथ और भी बदतर होती जाएगी, मेरा अपना अनुभव यह रहा है कि स्थिति को पूरी तरह से टाला जा सकता है और इसका समाधान काफी हद तक हमारे अपने हाथों में है। आपके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल के साथ मेरी कई बैठकों में मैंने सभी मुद्दों को उठाया और उन्हें यह समझाने की पूरी कोशिश की कि ये मुद्दे हल करने योग्य हैं और इनका समाधान किया जाना चाहिए। हालांकि, मेरे सभी अनुरोधों पर ध्यान नहीं दिया गया।’

6. शहर में होने वाली धूल की मुख्य वजह बताते हुए एलजी ने लिखा, ‘कई अध्ययनों से पता चलता है कि शहर में वायु प्रदूषण का लगभग 36% हिस्सा सड़कों पर उड़ने वाली धूल और निर्माण व तोड़फोड़ से उत्पन्न हुई धूल के कारण है। वहीं सड़क की धूल मुख्य रूप से बिना मरम्मत की सड़कों, खुले फुटपाथों, सेंट्रल वर्ज और टूटी-फूटी सड़कों के कारण होती है।’

7. इसके अलावा, वायु प्रदूषण का लगभग 25% हिस्सा वाहनों से होने वाले उत्सर्जन के कारण होता है। सॉलिड वेस्ट जलाने से 8% और अन्य राज्यों में बायोमास (पराली) जलाने से 26% प्रदूषण होता है, 5% चूल्हे, तंदूर और जेनरेटर आदि जैसे विविध कारकों के कारण होता है।

8. इस बिंदु में उन्होंने लिखा, ‘उपरोक्त आंकड़े बताते हैं कि भले ही 26% कारणों पर हमारा ज्यादा नियंत्रण ना हो, लेकिन शेष 74% हमारे नियंत्रण में हैं और यदि सरकार चाहती तो सरल कदम उठाकर बेहद कम लागत पर प्रभावी ढंग से इनका समाधान किया जा सकता था। इतना कहने के बाद भी मैं इस तथ्य से अवगत हूं कि पड़ोसी राज्यों, खासकर हमारे उत्तर में स्थित राज्यों से आने वाला धुआं दिल्ली में स्थिति को खराब कर रहा है और यदि जरूरत पड़ी तो मैं उनसे फिर से अनुरोध करूंगा कि वे हमारी मदद करें। हालांकि, यह उचित ही होगा कि हम दूसरों पर आरोप लगाने या उनकी मदद मांगने से पहले अपने घर को व्यवस्थित करें।’

9. इस पॉइंट में उन्होंने लिखा, ‘मैं यह पहले भी कह चुका हूं और आपके हस्तक्षेप के लिए मैं इसे फिर से दोहराता हूं कि स्थिति को ठीक करने के लिए बस सरल उपाय करने होंगे। सड़कों की नियमित मरम्मत, फुटपाथों पर एक सिरे से दूसरे सिरे तक पेवरमेंट ब्लॉक बिछाना, सड़कों के खुले क्षेत्रों और बीच के किनारों पर छोटी-छोटी झाड़ियां, चारा और घास लगाना, फुटपाथों और फुटपाथों पर छिद्रपूर्ण टाइलों को बिछाना, मशीनों से सड़कों की सफाई के साथ पानी से उनकी धुलाई और सड़क की धूल के लिए नियमित रूप से प्रमुख सड़कों की वैक्यूम सफाई से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस संबंध में सबसे महत्वपूर्ण काम शहर की उन सड़कों की मरम्मत करना होगा जो बेहद खराब स्थिति में हैं और जिन पर वाहन चलने से टनों धूल उड़ती रहती है।’

10. आप जानती ही होंगी कि दिल्ली को गैस चैंबर बनाने वाले धुएं में प्रमुख योगदान देने के साथ ही धूल से एलर्जी, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (CPOD) और सिलिकोसिस जैसी बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं। मुझे यकीन है कि किसी ने भी इस धूल के कारण होने वाले ऐसे रोगियों या मौतों की संख्या पर अध्ययन नहीं किया होगा।



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