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शीतकालीन सत्र के बीच पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को मिली मंजूरी।

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शीतकालीन सत्र के बीच पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को मिली मंजूरी।



नई दिल्ली – संसद के शीतकालीन सत्र के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दे दी है। अब केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में इसे सदन में पेश कर सकती है।

इससे पहले, ‘एक देश, एक चुनाव’ पर बनी कोविंद समिति की रिपोर्ट को 18 सितंबर को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले 2019 में 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक देश एक चुनाव के अपने विचार को सामने रखा था। उन्होंने कहा था कि देश के एकीकरण की प्रक्रिया हमेशा चलती रहनी चाहिए, और 2024 के स्वतंत्रता दिवस पर भी प्रधानमंत्री ने इस पर अपने विचार साझा किए थे।

क्या है ‘एक देश एक चुनाव’ की बहस?

‘एक देश एक चुनाव’ का विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में स्वतंत्रता दिवस पर रखा था। इसके तहत यह प्रस्ताव है कि देश में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हों। वर्तमान में लोकसभा (सामान्य) चुनाव और राज्य विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। हालांकि, कुछ राज्य जैसे अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं।

एक देश एक चुनाव की बहस की वजह क्या है?

2018 में विधि आयोग द्वारा प्रस्तुत मसौदा रिपोर्ट में इस व्यवस्था के आर्थिक पक्ष को प्रमुखता दी गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, यदि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे तो खर्च में 50:50 का अनुपात बनेगा, जिससे सरकार का खर्च कम होगा।

एक साथ चुनाव पर बनी समिति की सिफारिशें

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एक साथ चुनाव दो चरणों में आयोजित किए जाएंगे। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे, और दूसरे चरण में आम चुनावों के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव (पंचायत और नगर पालिका) होंगे। इसके तहत सभी चुनावों के लिए समान मतदाता सूची तैयार की जाएगी।

कोविंद समिति की प्रमुख सिफारिशें:
1. 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव होते रहे हैं।
2. 1999 में विधि आयोग ने पांच वर्षों में एक लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव कराने का सुझाव दिया।
3. 2015 में संसदीय समिति ने दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने के तरीकों का प्रस्ताव दिया था।
4. रिपोर्ट में राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों से व्यापक परामर्श के बाद यह सुझाव दिया गया।
5. रिपोर्ट ऑनलाइन उपलब्ध है: [https://onoe.gov.in](https://onoe.gov.in)
6. फीडबैक से यह स्पष्ट हुआ कि देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए व्यापक समर्थन है।

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