Delhi
सोनम वांगचुक को प्रदर्शन की अनुमति देने की मांग, HC का पुलिस और दिल्ली सरकार को नोटिस
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस, दिल्ली सरकार से शीर्ष निकाय लेह की याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में सोनम वांगचुक को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने की मांग की गई है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक एवं अन्य को जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अनुमति मांगने वाली याचिका पर दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की पीठ ने एपेक्स बॉडी लेह की ओर से दाखिल की गई इस याचिका पर पुलिस और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। अब इस मामले में 22 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस विरोध प्रदर्शन के अनुरोध को अस्वीकार करने के लिए कोई वैध आधार प्रदान करने में विफल रही है। वहीं दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने विरोध प्रदर्शन की तात्कालिकता पर सवाल उठाया। मेहता ने कहा कि इसमें जल्दबाजी की जरूरत नहीं है।
वांगचुक और लद्दाख के उनके साथियों को 30 सितंबर को दिल्ली पुलिस ने कथित तौर पर दिल्ली की सीमा पर हिरासत में ले लिया था। उन्होंने लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेह से लेकर राष्ट्रीय राजधानी तक मार्च किया। हालांकि, बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में आदिवासी क्षेत्रों के स्वायत्त जिलों के तौर पर प्रशासन से संबंधित है।
याचिका में कहा गया है कि लगभग 200 लोगों ने लेह, लद्दाख से नई दिल्ली तक एक शांतिपूर्ण पदयात्रा की। इस पदयात्रा ने 30 दिनों में 900 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की। प्रदर्शन उद्देश्य लद्दाख और व्यापक हिमालयी क्षेत्र के पारिस्थितिक और सांस्कृतिक क्षरण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। याचिकाकर्ता दिल्ली में जंतर मंतर या किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं। वहीं दिल्ली पुलिस ने कोई वैध आधार नहीं होने की बात कह कर अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है।
इस बीच भूख हड़ताल पर बैठे सोनम वांगचुक ने कहा- हमें किसी शीर्ष नेता के साथ बैठक की उम्मीद है। महत्वपूर्ण बात यह है कि हम गृह मंत्रालय और लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के शीर्ष निकाय के तहत लद्दाख के नेताओं के बीच चल रही बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए समय और तारीख की मांग कर रहे हैं। ये बातचीत कई महीनों से रुकी हुई थी। लद्दाख की समस्याओं का समाधान खोजने के लिए बातचीत को फिर से शुरू करने की जरूरत है। जब तक कोई तारीख नहीं दी जाती, हम अनशन जारी रखेंगे।