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Uttarakhand

4 दिन में दो हाथियों की मौत से वन विभाग की चिंता बढ़ी

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हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में हाल के दिनों में हाथियों की बढ़ती मौजूदगी के बीच पिछले चार दिनों में दो मादा हाथियों की मौत ने चिंता बढ़ा दी है। वन विभाग के अनुसार, एक हाथी की मौत खेतों में बिछाई गई करंट वाली तार के कारण हुई, जबकि दूसरी की मौत का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। इस गंभीर घटना ने वन्यजीव संरक्षण और मानव-हाथी संघर्ष के मुद्दे को फिर से उभारा है।

चार दिनों में दो हाथियों की मौत, वन विभाग ने शुरू की जांच

हरिद्वार डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध ने बताया कि चार दिनों के भीतर दो मादा हाथियों की मौत बेहद गंभीर है। मौत के कारणों का पता लगाने के लिए सभी सैंपल आईवीआरआई बरेली और अन्य लैब में भेजे गए हैं। इसके साथ ही एक विशेष जांच टीम भी गठित की गई है, जो हादसों की वास्तविक वजहों का पता लगाएगी।

करंट तारों से हाथियों की मौत, कार्रवाई तेज

ग्रामीण इलाकों में फसलों की सुरक्षा के लिए किसान करंट वाली तारें बिछाते हैं, जो हाथियों के लिए जानलेवा साबित हो रही हैं। वन विभाग ने करंट तार लगाने वाले किसान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और आसपास के क्षेत्रों से अवैध करंट तार हटाए जा रहे हैं।

मानव-हाथी संघर्ष का बढ़ता संकट

हरिद्वार-राजाजी नेशनल पार्क क्षेत्र हाथियों का प्राकृतिक आवास है, लेकिन तेजी से हो रहे शहरीकरण, सड़कों और रेलवे लाइनों के विस्तार ने उनके आवागमन के रास्ते प्रभावित किए हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक सनातन सोनकर ने कहा कि उत्तराखंड में मानव-हाथी संघर्ष एक गंभीर समस्या बन चुका है। खेतों को नुकसान पहुंचाने वाले हाथी और उनकी गतिविधियों से डरे ग्रामीण सुरक्षा के लिए खतरनाक कदम उठा रहे हैं।

वन विभाग की तैयारी और ग्रामीणों में दहशत

वन विभाग ने हाथियों की सुरक्षा के लिए गश्त बढ़ा दी है और ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम शुरू किए हैं। हाथियों के लिए सुरक्षित कॉरिडोर बनाए जाने की योजना भी बनाई जा रही है। डीएफओ ने कहा, “हाथियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।”

वहीं ग्रामीणों में हाथियों की बढ़ती आवाजाही और मौत की घटनाओं ने दहशत पैदा कर दी है। कई गांवों में रात को लोग खेतों की रखवाली करने से डरने लगे हैं।



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