Uttarakhand
1365 करोड़ खर्च के बाद भी 24 घंटे नहीं खुली पिथौरागढ़-टनकपुर एनएच ऑलवेदर रोड, 2 दिन में पहुंच रहे अपने घर
पिथौरागढ़-टनकपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 1365 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी लाखों लोगों का बेहतर यातायात का सपना अधूरा ही रह गया है। हालात यह हैं कि इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर दिन के निर्धारित समय में ही आवाजाही करना यात्रियों की मजबूरी बन गया है।
प्रशासन के नियमानुसार शाम साढ़े पांच के बाद चम्पावत से आगे यात्री सफर नहीं कर सकते। जबकि टनकपुर से साढ़े चार बजे से ही आवाजाही पर रोक है। त्योहारी सीजन में एनएच में सीमित समय के लिए आवाजाही होने से सीमांत के लोग परेशान हैं।
दरअसल मैदानी क्षेत्रों में रोजगार के लिए पहुंचे सैकड़ों लोग दिवाली पर घरों को आते हैं। इसके अलावा यहां के बाजार में भी दिल्ली से अधिकतर सामान की सप्लाई होती है, लेकिन सीमित समय के लिए सड़क पर आवाजाही सुचारू होने से यात्री से लेकर व्यापारी दोनों परेशान हैं।
दिल्ली, गुजरात से आने वाले कई यात्री तो देरी से पहुंचने के कारण टनकपुर, खटीमा में ही डेरा डालने को मजबूर हैं। दिल्ली से जिला मुख्यालय पहुंची मेघा ने बताया कि वह अपने दो साथियों के साथ निजी वाहन से यात्रा कर रही थीं।
दो दिन पहले शाम करीब पांच बजे वह टनकपुर पहुंची, लेकिन ककराली गेट से आगे उन्हें आवाजाही की अनुमति नहीं दी गई। इससे मजबूरन उन्हें टनकपुर में ही होटल में रहना पड़ा। दिल्ली, देहरादून से रोडवेज बसों में सफर करने वाले लोग भी परेशान हैं।
देहरादून से आए महेंद्र कुमार का कहना है कि सड़क में सीमित समय के लिए आवाजाही होने से बस घंटों टनकपुर में खड़ी रहीं। एनएच में आवाजाही का यह समय निर्धारित चम्पावत के डीएम की ओर से 14 अक्तूबर को एक आदेश जारी हुआ है।
जिसके अनुसार आगामी 25 अक्तूबर तक टनकपुर ककराली गेट से चम्पावत के लिए सुबह सात से शाम साढ़े चार बजे तक ही छोटे-बड़े वाहनों को आवाजाही की अनुमति है। चम्पावत के बनलेख फोरेस्ट चेकपोस्ट से टनकपुर के लिए सुबह आठ से शाम साढ़े पांच बजे तक ही वाहनों को भेजा जा रहा है।
नवंबर 2017 से शुरू हुआ था ऑलवेदर रोड का निर्माण
पिथौरागढ़ के नवंबर 2017 में पिथौरागढ़ से टनकपुर के बीच 1365 करोड़ की लागत से ऑलवेदर रोड का निर्माण कार्य शुरू हुआ। वर्ष 2021 के आसपास इस सड़क का निर्माण कार्य पूरा हुआ। तब लोगों को लगा कि अब उन्हें पहाड़ से मैदानी क्षेत्र का सफर करने में आसानी होगी तथा दिन के साथ ही रात में भी आवाजाही कर सकेंगे।
कुछ समय लोगों को सुविधा मिली भी, लेकिन बीते सितंबर माह से यह सड़क लोगों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है। स्वाला के समीप पहाड़ी दरकने से 12 सितंबर को इस मार्ग में पूर्णतया आवाजाही बंद हो गई। करीब 20 दिन लगातार एनएच बंद रहने के बाद प्रशासन ने किसी तरह सड़क में यातायात बहाल तो किया, लेकिन सिर्फ सीमित समय के लिए।
पहाड़ी से मलबा गिराने का काम रात को जारी
चंपावत के स्वाला डेंजर जोन की पहाड़ी से मलबा गिराने का काम रात वक्त किया जा रहा है। पहाड़ी में चढ़ाई गई मशीनें योजनाबद्ध तरीके से मलबा एनएच में गिरा रही हैं। चम्पावत-टनकपुर हाईवे में स्वाला के पास बने डेंजर जोन से मलबा गिराने का काम शाम छह बजे से शुरू किया जा रहा है।
इस स्थान पर रैंप बना कर मशीनें पहाड़ी में पहुंचाई गई हैं। डीएम नवनीत पांडेय की अनुमति के बाद पहाड़ी में करीब 700 मीटर लंबा रैंप बनाया गया। पहाड़ी में एंकरिंग का कार्य भी किया जा रहा है। एनएच में वाहनों के संचालन के लिए नई गाइड लाइन बनाई गई है।
जिला प्रशासन ने 25 अक्तूबर तक चम्पावत-टनकपुर के वाहनों की आवाजाही का समय साढ़े नौ घंटे निर्धारित किया है। डीएम के अनुसार चम्पावत से टनकपुर की ओर जाने वाले वाहन सुबह आठ से सायं पांच बजे तक चलेंगे। टनकपुर से चम्पावत आने वाले वाहन ककराली गेट से सुबह सात से शाम साढ़े चार बजे तक संचालित की अनुमति है।