Uttarakhand
विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को ओर बढ़ता भारत, पूंजीगत व्यय भारत में मजबूत आर्थिक विकास के लिए अनुकूल।
देहरादून – भारत कई क्षेत्रों में जबर्दस्त प्रगति का साक्षी रहा है, जिसमें डिजिटलीकरण, अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाना, विनिर्माण के लिए निवेश आकर्षित करने की खातिर बेहतर नीतिगत माहौल और बुनियादी ढांचे पर खर्च में भारी वृद्धि शामिल है। नीतियों की निरंतरता के कारण भारत के सकारात्मक विकास के लिए आधार तैयार किए गए हैं।
वित्त वर्ष-24 की पहली तिमाही में 7.8 फीसदी की वृद्धि के साथ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। इस वृद्धि को मजबूत खपत, बुनियादी ढांचे और रियल एस्टेट क्षेत्रों में चल रहे निवेश, सेवा निर्यात में निरंतर वृद्धि, एक संपन्न सेवा क्षेत्र, सकारात्मक उपभोक्ता और व्यावसायिक विकास का समर्थन हासिल है। रिजर्व बैंक के ताजा अनुमानों में वित्त वर्ष-2024 में भारत के लिए 6.5 फीसदी और वित्त वर्ष 2025 में 6.2 फीसदी की वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। कई नीतिगत सुधार और समर्थन, सरकार द्वारा विशाल पूंजीगत व्यय पर ध्यान केंद्रित किए जाने, मजबूत कॉरपोरेट एवं बैंक बैलेंस-शीट ने (जिनमें एनपीए पर काबू पा लिया गया है) आने वाले लंबे समय के लिए निरंतर आर्थिक विकास के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है।
वर्ष 2014 में वैश्विक जीडीपी के मामले में दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था रहा भारत अब पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में भी सुधार हुआ है और वर्ष 2014 के 147वें पायदान से ऊपर उठकर अब यह 127वें पायदान पर आ गया है। इस दौरान जीएसटी, आईबीसी, जनधन, आधार, यूपीआई और पीएलआई योजनाएं जैसे ऐतिहासिक सुधार हुए हैं। मुद्रास्फीति पर भी उल्लेखनीय नियंत्रण हुआ है। ऐसा एमएसपी में कम वृद्धि, सौभाग्य से कच्चे तेल/वस्तु की कीमतों में कमी और कोविड के दौरान विवेकपूर्ण उपायों से हुआ है। इसके अलावा, व्यावसायिक सुगमता सूचकांक में भारी उछाल के साथ कारोबारी धारणा में सुधार हुआ है। और अब भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
बुनियादी ढांचों के विकास में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। भारत ने बड़े पैमाने पर सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में अपना निवेश बढ़ाया है। पिछले नौ वर्षों में राजमार्गों में लगभग 60 फीसदी की वृद्धि हुई है और रेलवे के बुनियादी ढांचे में निवेश चार गुना से अधिक बढ़ गया है। बंदरगाहों की क्षमता में 83 फीसदी की वृद्धि हुई है। मेट्रो लाइन की लंबाई साढ़े तीन गुना बढ़ी है, जिससे और अधिक शहर मेट्रो रेल लाइन से जुड़ गए हैं। उड़ान योजना के तहत 73 नए हवाई अड्डों के संचालन का काम हुआ है। वित्तीय समावेशन और डिजिटाइजेशन के मोर्चे पर भी भारी सफलता मिली है।
वर्ष 2014 के बाद से खोले गए 50 करोड़ जन-धन खातों की बदौलत वर्ष 2023 में 80 फीसदी से ज्यादा लोगों के बैंक खाते हैं। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण वर्ष 2014 में 7,400 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर सात लाख करोड़ रुपये हो गया है। सरकार ने सब्सिडी देने के लिए जन धन-आधार-मोबाइल-पैन का प्रभावी ढंग से उपयोग करके विलंब और बिचौलियों को खत्म कर दिया है। एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) ने भी जबर्दस्त प्रगति की है।
ऑटोमोबाइल की बिक्री में वृद्धि, बिजली की बढ़ती मांग, ई-वे बिल की मात्रा, पैसेंजर ट्रैफिक में वृद्धि, घरेलू क्षेत्र में बैंक ऋण के प्रवाह में उच्च वृद्धि और ग्रामीण मांग वृद्धि में सुधार बढ़ते उपभोग का संकेत देते हैं। बुनियादी ढांचा और रियल एस्टेट क्षेत्र फल-फूल रहे हैं, जो औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में वृद्धि, सीमेंट, स्टील की खपत और बुनियादी ढांचे पर सरकारी खर्च में परिलक्षित होता है।
जीडीपी प्रतिशत के रूप में सकल स्थिर पूंजी निर्माण में भी वृद्धि हुई है। हालांकि समग्र अर्थव्यवस्था की तुलना में विनिर्माण क्षेत्र की कम वृद्धि, माल के निर्यात और आयात में संकुचन, और अर्थव्यवस्था में एफडीआई, वेंचर कैपिटल (वीसी) और प्राइवेट इक्विटी (पीई) फंड के निचले स्तर के साथ-साथ कच्चे तेल और थोक बिजली की कीमतों में वृद्धि से कुछ चिंताएं पैदा होती हैं।
जीएसटी संग्रह ने अब तक जीडीपी वृद्धि को पीछे छोड़ दिया है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में प्रत्यक्ष कर संग्रह मजबूत कॉरपोरेट प्रदर्शन का संकेत है। मजबूत मांग की स्थिति के बीच नए कारोबार में तेज वृद्धि के कारण सितंबर में सेवा क्षेत्र की वृद्धि 13 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, और समग्र व्यापार माहौल में सुधार के कारण नौकरियों की संख्या में वृद्धि जारी रही। नवीनतम परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) का परिणाम भारत के सेवा क्षेत्र की सकारात्मक खबर लेकर आया, सितंबर में व्यावसायिक गतिविधि और नए कार्य क्षेत्र में प्रवेश में 13 वर्षों में सबसे बड़ी वृद्धि देखी गई। नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि भारतीय सेवा प्रदाताओं के नए व्यवसाय में पर्याप्त वृद्धि हुई है, जो जून 2010 के बाद से दूसरी सबसे तेज वृद्धि है। कुल बिक्री में वृद्धि के अलावा, कंपनियों ने विदेशों से, विशेष रूप से एशिया, यूरोप, और उत्तरी अमेरिका के ग्राहकों से मांग में वृद्धि देखी है।
जैसे ही त्योहारी सीजन शुरू होगा, खपत में जोरदार वृद्धि की उम्मीद है। घरेलू यात्री वाहन की बिक्री और जीएसटी संग्रह के आंकड़े एक स्वस्थ आर्थिक परिदृश्य का संकेत देते हैं। महामारी के दौरान भारी चुनौतियों का सामना करने के बाद, भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र ने मांग में भारी बढ़ोतरी के साथ मजबूत वृद्धि दर्ज की है।
रोजगार, आय और व्यय की संभावनाओं के साथ सामान्य आर्थिक दृष्टिकोण में अगले एक वर्ष में और सुधार होने की उम्मीद है। नवीनतम सर्वेक्षण दौर में भविष्य की अपेक्षाओं का सूचकांक (एफईआई) भी चार साल के उच्चतम स्तर पर है। भारतीय परिवार भविष्य की कमाई को लेकर अत्यधिक आशावादी बने हुए हैं। एक साल पहले की तुलना में वे मौजूदा मूल्य स्तर और मुद्रास्फीति को लेकर कम निराशावादी हैं।
कुल मिलाकर, बैंकों और कॉरपोरेट्स की स्वस्थ बैलेंस शीट, आपूर्ति शृंखला सामान्यीकरण, व्यावसायिक आशावाद, मजबूत उपभोक्ता भावना और मजबूत सरकारी पूंजीगत व्यय भारत में मजबूत आर्थिक विकास के लिए अनुकूल हैं।