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Uttarakhand

डॉ. साकेत बडोला को अतिरिक्त जिम्मेदारी, डॉ. विनय भार्गव का ट्रांसफर

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डॉ. साकेत बडोला को अतिरिक्त जिम्मेदारी, डॉ. विनय भार्गव का ट्रांसफर

देहरादून: उत्तराखंड में वन विभाग में फेरबदल का सिलसिला जारी है। सोमवार को कई अफसरों के तबादले के बाद मंगलवार को भी दो वरिष्ठ अधिकारियों को नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसमें एक को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, जबकि दूसरे का तबादला कर दिया गया है।

देहरादून वन विभाग

डॉ. साकेत बडोला का प्रभाव बढ़ा

कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व, रामनगर के निदेशक और वन संरक्षक के रूप में कार्यरत डॉ. साकेत बडोला को अब वन संरक्षक, पश्चिम वृत्त हल्द्वानी का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया है। इस नई जिम्मेदारी के साथ उनका कद वन विभाग में और मजबूत हुआ है। हालांकि, आदेश में स्पष्ट किया गया है कि इस अतिरिक्त प्रभार के लिए उन्हें किसी प्रकार का अतिरिक्त वेतन या भत्ता नहीं मिलेगा। यह आदेश उप सचिव हेमा पांडे की ओर से जारी किया गया।

डॉ. विनय कुमार भार्गव का तबादला

वहीं, डॉ. विनय कुमार भार्गव, जो अब तक वन संरक्षक, पश्चिम वृत्त हल्द्वानी थे, उनका ट्रांसफर करते हुए उन्हें वन संरक्षक/निदेशक, नंदा देवी बायोस्फियर रिज़र्व, गोपेश्वर नियुक्त किया गया है। यह तबादला जनहित में किया गया है और उन्हें जल्द से जल्द अपनी नई पोस्टिंग पर कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए गए हैं।

dehradun van vibhag

सोमवार को हुए थे बड़े स्तर पर तबादले

एक दिन पहले सोमवार को भी उत्तराखंड वन विभाग में बड़े पैमाने पर तबादले और नई पोस्टिंग की गई थीं।

प्रमुख वन संरक्षक समीर सिन्हा को CAMPA की जिम्मेदारी भी सौंपी गई।

रंजन कुमार मिश्रा से वन संरक्षण नोडल अधिकारी का प्रभार हटाया गया।

नीना ग्रेवाल को उत्तराखंड वन विकास निगम में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया।

एसपी सुबुद्धि को प्रमुख वन संरक्षक (वन संरक्षण) की अतिरिक्त जिम्मेदारी मिली।

सुशांत पटनायक को वन अग्नि एवं आपदा प्रबंधन की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई।

तेजस्विनी पाटिल से वन प्रशिक्षण निदेशक का प्रभार हटाकर उन्हें कुमाऊं की चीफ की भूमिका दी गई।

आईएफएस संजीव चतुर्वेदी को मुख्य वन संरक्षक और निदेशक, वानिकी प्रशिक्षण अकादमी की जिम्मेदारी सौंपी गई।

धीरज पांडे को गढ़वाल क्षेत्र का चीफ बनाया गया।

वन विभाग में लगातार दो दिनों से हो रहे बदलाव यह दर्शाते हैं कि सरकार विभागीय कार्यशैली को और अधिक चुस्त-दुरुस्त करना चाहती है। इन बदलावों से फील्ड वर्क में नई ऊर्जा और रणनीति की उम्मीद की जा रही है।



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