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Uttarakhand

ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने से बढ़ रही झीलों की संख्या, केदारनाथ जैसी आपदा का खतरा।

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ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने से बढ़ रही झीलों की संख्या, केदारनाथ जैसी आपदा का खतरा।


देहरादून – उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने से कई नई झीलों का निर्माण हो रहा है, और इनका आकार लगातार बढ़ता जा रहा है। इन झीलों के टूटने से भविष्य में केदारनाथ जैसी आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। चमोली जिले के धौली गंगा बेसिन में स्थित वसुधारा झील इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जिसका आकार खतरनाक गति से बढ़ रहा है।

वसुधारा ग्लेशियर झील में पानी की मात्रा में 767 प्रतिशत की वृद्धि
उत्तराखंड के आपदा विभाग ने हाल ही में वसुधारा ताल का निरीक्षण करने के लिए वाडिया संस्थान और अन्य विशेषज्ञों की एक टीम भेजी थी। इस टीम ने झील की मौजूदा स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के कारण हिमालयी क्षेत्र में झीलों के आकार में वृद्धि की जानकारी दी गई है। इसरो और एडीसी फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट एनालिसिस इनिशिएटिव (UDAAI) रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में लगभग 1400 ग्लेशियर हैं, जिनमें से 1266 झीलों का आकार 500 वर्ग मीटर से ज्यादा है। आपदा प्रबंधन विभाग ने इसरो के सेटेलाइट डेटा के आधार पर 13 ग्लेशियर झीलों को चिह्नित किया है, जिनमें से 5 बेहद संवेदनशील हैं, जिनमें वसुधारा झील भी शामिल है।

वसुधारा ताल का आकार बढ़ने से बढ़ रहा खतरा
वाडिया संस्थान द्वारा सेटेलाइट डाटा का अध्ययन किया जा रहा है, जिससे वसुधारा ताल और अन्य ग्लेशियर झीलों की स्थिति पर नजर रखी जा रही है। 4702 मीटर की ऊंचाई पर स्थित वसुधारा झील का आकार 1968 में 0.14 वर्ग किलोमीटर था, जो 2021 में बढ़कर 0.59 वर्ग किलोमीटर हो गया है। इसके अलावा, झील में मौजूद पानी की मात्रा भी लगातार बढ़ रही है। वर्ष 1968 में झील में करीब 21,10,000 क्यूब मीटर पानी था, जो अब बढ़कर 1,62,00,000 क्यूबिक मीटर हो गया है। यानी इन 53 वर्षों में पानी की मात्रा में लगभग 767 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।

तुंगनाथ मंदिर और अन्य घटनाओं पर असर
उत्तराखंड आपदा विभाग की अक्टूबर 2024 की रिपोर्ट में ग्लेशियरों से जुड़ी कई घटनाओं को शामिल किया गया है, जिनमें पिंडारी ग्लेशियर का पिछले 60 वर्षों में आधा किलोमीटर पीछे खिसकना, तुंगनाथ मंदिर के ढहने का खतरा, और बदरीनाथ हाईवे पर हेलंग-मारवाड़ी बाईपास पर 12 अक्टूबर को हुआ भूस्खलन शामिल है।

वसुधारा झील के स्थलीय निरीक्षण की आवश्यकता
उत्तराखंड आपदा विभाग और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) राज्य सरकारों से ग्लेशियर झीलों की निगरानी करने की सिफारिश कर रहे हैं। जबकि वसुधारा झील का स्थलीय निरीक्षण किया गया है, अभी तक अन्य झीलों के बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

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