Connect with us

Uttarakhand

एडीएम की अंग्रेजी न आने पर नैनीताल हाईकोर्ट सख्त, मुख्य सचिव को जांच के दिए आदेश

Published

on


Uttarakhand: उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान नैनीताल के अपर जिलाधिकारी (एडीएम) ने अंग्रेजी में संवाद करने में असमर्थता जताई। इस पर अदालत ने गंभीरता दिखाते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त और मुख्य सचिव को मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित की गई है।

Uttarakhand, Nainital: उत्तराखंड हाईकोर्ट में उस वक्त असहज स्थिति उत्पन्न हो गई जब नैनीताल के एडीएम और निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी, जो एक वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी हैं, ने मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी (न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र का स्थान स्पष्ट किया गया है, कृपया पुष्टि करें) से हिंदी में संवाद किया। जब खंडपीठ द्वारा उनसे अंग्रेजी भाषा के ज्ञान को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि वे अंग्रेजी समझ सकते हैं लेकिन धाराप्रवाह बोलने में असमर्थ हैं।

इस पर मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने राज्य निर्वाचन आयुक्त (SEC) और मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे इस बात की जांच करें कि क्या ऐसा अधिकारी, जो स्वयं स्वीकार करता है कि वह अंग्रेजी नहीं बोल सकता, एक जिम्मेदार कार्यकारी पद को प्रभावी रूप से संभालने के लिए उपयुक्त है। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित की गई है।

यह टिप्पणी मतदाता सूची से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आई। याचिका में सवाल उठाया गया कि क्या केवल परिवार रजिस्टर के आधार पर लोगों के नाम वोटर लिस्ट में शामिल किया जाना वैध है। SEC की ओर से अदालत को बताया गया कि बूथ स्तर के अधिकारी घर-घर जाकर एक ही परिवार के किसी सदस्य से जानकारी लेकर अन्य सभी सदस्यों के नाम अस्थायी सूची में दर्ज करते हैं। यदि कोई आपत्ति नहीं आती, तो उन्हें अंतिम सूची में जोड़ा जाता है।

कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि नाम दर्ज करते समय कोई वैध पहचान प्रमाण या सहायक दस्तावेज संलग्न किए गए या नहीं? क्या परिवार रजिस्टर की प्रविष्टियों की स्वतंत्र रूप से सत्यता जांची गई? इस पर SEC के वकील ने स्वीकार किया कि प्रक्रिया केवल परिवार रजिस्टर पर आधारित है और अन्य दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं मानी जाती।

कोर्ट ने टिप्पणी की कि यदि यह प्रक्रिया पूरे राज्य में अपनाई जा रही है, तो इससे मतदाता सूची की वैधता पर गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं।

यह भी पढ़े



Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement