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Uttarakhand

ऋषिकेश से चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ, मुख्यमंत्री धामी ने दिखाई बसों को हरी झंडी, श्रद्धालुओं से देवभूमि को स्वच्छ रखने की अपील…

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ऋषिकेश से चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ, मुख्यमंत्री धामी ने दिखाई बसों को हरी झंडी, श्रद्धालुओं से देवभूमि को स्वच्छ रखने की अपील…


ऋषिकेश: उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ बुधवार को ऋषिकेश के ट्रांजिट कैंप परिसर से हुआ। इस अवसर पर चारधाम यात्रा संचालित करने वाली संयुक्त रोटेशन व्यवस्था समिति द्वारा एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और पूर्व मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यात्रा पर रवाना होने वाली 10 बसों को हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने श्रद्धालुओं से बातचीत की और ट्रांजिट कैंप परिसर में की गई व्यवस्थाओं का जायजा लिया। श्रद्धालुओं ने मुख्यमंत्री से मिलकर उत्साह और खुशी व्यक्त की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष की यात्रा ऐतिहासिक होने जा रही है। सरकार ने पिछले वर्ष की यात्रा से सीख लेते हुए कई व्यवस्थाओं को बेहतर किया है, जिनमें ऑफलाइन पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार और सुरक्षा प्रबंध प्रमुख हैं। उन्होंने बताया कि इस बार यात्रा मार्गों को बेहतर बनाया गया है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो और वे कम समय में धामों तक पहुँच सकें।

मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले वर्ष 36 दिनों की रुकावट के बावजूद 46 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा में भाग लिया था। इस बार यह संख्या नया रिकॉर्ड स्थापित कर सकती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गौरीकुंड-केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इनके धरातल पर उतरने से यात्रा और अधिक सुगम हो जाएगी।

उन्होंने चारधाम यात्रा मार्ग पर सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध की जानकारी देते हुए श्रद्धालुओं से देवभूमि को कचरा मुक्त रखने की अपील भी की।

इस मौके पर संयुक्त रोटेशन व्यवस्था समिति ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें मांग की गई कि यात्रा के दौरान बाहरी राज्यों के वाहनों को उत्तराखंड में पर्वतीय मार्गों पर चलने की अनुमति न दी जाए। समिति के अध्यक्ष भूपाल सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड के परिवहन व्यवसायी यात्रा के दौरान ही आय अर्जित करते हैं जिससे वे अपनी बसों के लोन और घरेलू खर्चों को संभालते हैं। यात्रा बंद होने के बाद उनके सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जाता है।




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