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देश और दुनियाभर में कोरोना के नए वैरिएंट की बढ़ती चिंता के बीच उत्तराखंड में कोरोना के नए वैरिएंट जेएन.1 का पहला केस मिला है। दून अस्पताल में पांच दिन तक भर्ती रही 72 वर्षीय बुजुर्ग महिला की जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच में पुष्टि हुई है। महिला 4 जनवरी को डिस्चार्ज हो गई थी। जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट दून मेडिकल कॉलेज से आई। आईडीएसपी के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. पंकज सिंह ने इसकी पुष्टि की है। अब महिला रिकवर हो चुकी है।

अमेरिका से आए थे दामाद : बुजुर्ग के दामाद अमेरिका से घर पर आए थे। उनके जाने के बाद महिला की तबीयत खराब हुई और उनको दून अस्पताल में भर्ती कराना पड़ गया था।

मरीज बिल्कुल स्वस्थ, आसपास कोई बीमार नहीं : जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. सीएस रावत ने बताया कि टीम ने महिला के घर और आसपास का सर्वे किया। महिला बिल्कुल स्वस्थ है और आसपास भी कोई बीमार नहीं है। नया वैरिएंट जेएन.1 ओमिक्रॉन का ही सब वैरिएंट है। इससे लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। दून में गुरुवार को 49 लोगों की कोविड जांच कराई गई, जिनमें से कोई पॉजिटिव नहीं मिला।

मुनिकीरेती में विदेशी महिला पॉजिटिव मिली

वहीं, नई टिहरी के मुनिकीरेती क्षेत्र में तपोवन के एक होटल में रुकी विदेशी महिला पॉजिटिव मिली। स्वास्थ्य विभाग ने उसे महिला को उस होटल में आइसोलेट किया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी टिहरी डॉ. मनु जैन ने बताया, होटल में ठहरे 80 लोगों की भी जांच की गई, सबकी रिपोर्ट सामान्य आई है।

बता दें कि, कोरोना वायरस का नया सब-वैरिएंट जेएन.1 संक्रामक है, लेकिन इसके लक्षण हल्के हैं और उत्तराखंड सरकार इससे निपटने के लिए पूरी तरह से अलर्ट और तैयार है। 

गौरतलब है कि न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस के ‘जेएन.1’ स्वरूप के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच इसे ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ करार दिया है। डब्यूएचओ ने साथ ही कहा कि इससे वैश्विक जनस्वास्थ्य के लिए ज्यादा खतरा नहीं है। डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को कहा कि 2020 के अंत में वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करने वाले स्वरूपों के सामने आने से बाद से डब्ल्यूएचओ ने हल्के स्वरूप को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ तथा गंभीर स्वरूप को ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ के रूप में वर्गीकृत करना शुरू किया है। हाल में ‘जेएन.1’ वैरिएंट के मामले कई देशों में सामने आए हैं और दुनिया में इस स्वरूप के मामले बढ़ रहे हैं। भारत में भी इस स्वरूप का मामला सामने आया है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यह अब ‘ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इन्फ्लुएंजा डेटा’ (जीआईएसएआईडी) से जुड़े बीए.2.86 वंशानुक्रम (लीनिएज) से संबंधित है। इसने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”तेजी से इसके मामले बढ़ने के कारण डब्ल्यूएचओ ‘जेएन.1’ को मूल वंश बीए.2.86 से अलग ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के तौर पर वर्गीकृत कर रहा है।” भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, ‘जेएन.1’ के मामले अमेरिका, चीन, सिंगापुर और भारत में पाए गए हैं। चीन में इस स्वरूप के सात मामले सामने आए हैं। देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने के बीच केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यों से सतर्कता बरतने एवं निगरानी बढ़ाने की अपील की थी। 



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