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आबकारी अधिकारी केपी सिंह पर गिरी गाज-झूठी रिपोर्टिंग और अधिकारियों को भ्रमित करने पर निलंबन की संस्तुति

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आबकारी अधिकारी केपी सिंह पर गिरी गाज-झूठी रिपोर्टिंग और अधिकारियों को भ्रमित करने पर निलंबन की संस्तुति


Uttarakhand, Dehradun: आबकारी आयुक्त अनुराधा पाल ने जिला आबकारी अधिकारी केपी सिंह के खिलाफ बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए उनके निलंबन और उच्च स्तरीय जांच की संस्तुति शासन को भेज दी है। उन्हें अग्रिम आदेशों तक आबकारी आयुक्त कार्यालय में अटैच कर दिया गया है। यह कार्रवाई देहरादून में शराब की दुकानों के स्थानांतरण में लापरवाही, झूठे तथ्य पेश करने और अधिकारियों को गुमराह करने के गंभीर आरोपों के चलते की गई है।

प्रकरण की पृष्ठभूमि में 27 मार्च को आयोजित जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में राजधानी में यातायात जाम और सड़क दुर्घटनाओं की समस्या के मद्देनज़र छह शराब की दुकानों को शिफ्ट करने की संस्तुति की गई थी। इसके तहत 13 मई को जिला प्रशासन ने आबकारी विभाग को एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई कर 22 मई तक रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे, लेकिन निर्धारित समय सीमा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

इस बीच अनुज्ञापियों ने उच्च न्यायालय की शरण ली, जहां जिला आबकारी अधिकारी केपी सिंह ने बिना सक्षम अधिकारियों की संस्तुति के तथ्यों को अदालत में प्रस्तुत कर दिया, जिससे शासन और प्रशासन की स्थिति कमजोर हो गई। न्यायालय ने 27 जून को याचिका का निस्तारण करते हुए शासन को पुनरीक्षण सुनवाई के निर्देश दिए। प्रमुख सचिव, आबकारी ने भी डीएम के आदेश को उचित ठहराते हुए दुकानों की अंतिम शिफ्टिंग तिथि 31 जुलाई तय की।

पूरे मामले में डीएम सविन बंसल ने केपी सिंह की भूमिका को गैर-जिम्मेदाराना बताया और तत्काल निलंबन व उच्च स्तरीय जांच की संस्तुति शासन को भेजी। अब इसी संस्तुति के आधार पर आबकारी आयुक्त ने भी कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए निलंबन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस घटनाक्रम से आबकारी विभाग में हड़कंप मच गया है।

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