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Uttarakhand

अवैध मजारों के खिलाफ सख्त हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश में नहीं होने देंगे लैंड जिहाद।

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देहरादून – राज्य में अवैध निर्माण को लेकर एक ऐसा मामला सामने आया है। जिसने शासन प्रशासन की नींद उड़ा दी है। राज्य में 1000 मजारे खोदी गई लेकिन उनके भीतर कोई अवशेष नहीं मिला। इसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सख्त नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य में लैंड जिहाद नहीं चलने दिया जाएगा। इसको लेकर कवायद तेज हो गई है।

सरकारी भूमि पर अवैध मजारे बनाने के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के तेवर बेहद सख्त दिखाई दे रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चेतावनी दी है कि प्रदेश में सरकारी जमीन पर जहां भी अवैध मजारे हैं उन्हें स्वत: हटा लिया जाए। यही नहीं मुख्यमंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि प्रदेश में कहीं लैंड जिहाद नहीं चलने दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक हजार ऐसे स्थान मिले हैं जहां मजारे बना दी गई हैं जब इन मजारों को खुद आ गया तो वहां किसी तरह के अवशेष नहीं मिले उन्होंने कहा कि हम किसी के खिलाफ नहीं हैं पर जमीन पर जबरन कब्जा भी नहीं होने देंगे। उधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह भी साफ किया है कि कई जगह पर जनसंख्या में असंतुलन हो रहा है इस पर सख्ती से रोक लगाने के लिए समूचे प्रदेश भर में एक विशेष अभियान चलाया जाएगा। उत्तराखंड धर्म अध्यात्म और संस्कृति की भूमि है हम किसी हाल में इसका स्वरूप बिगड़ने नहीं देंगे यह बात भी मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कह दी है।

सबसे ज्यादा मजारें वन भूमि पर अवैध रूप से बन रही है। इसको लेकर विभागीय स्तर पर भी काम चल रहा है कई मजारे अभी तक ध्वस्त की गई है जबकि कई अन्य चिन्हित मजारों को ध्वस्त करने की कार्य योजना तैयार की जा रही है। अवैध कब्जा धारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि जहां इंसानों के पैदल चलने पर भी पाबंदी हो वहां कथित रूप से अवैध मजारों का निर्माण किया जा रहा है इसका सबसे बड़ा और जीता जागता उदाहरण कॉरपोरेट पार्क है। कॉर्पोरेट पार्क में कथित रूप से अवैध मजारे बना दी गई और प्रशासन सोता रहा। वन प्रभाग रामनगर के भीतर ही कई कथित अवैध मजारें बना दी गई।

उधर मजारों में गद्दी नशीन बता रहे हैं कि कई मज़ा रे बरसो पुरानी लेकिन उन को अवैध करार देना ठीक नहीं है।

कुल मिलाकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इन अवैध मजारों के निर्माण के खिलाफ सख्त दिखाई दे रहे हैं। जनसंख्या के बढ़ते असंतुलन को देखते हुए भी बृहद अभियान चलाने की बात कही है। इन तमाम अवैध कब्जों पर सरकार तो संजीदा दिख रही है लेकिन अधिकारियों का रवैया पहले से सवालों के घेरे में रहा सवाल यह है जिस वन भूमि पर पैदल चलना भी मुश्किल हो वहां पर अवैध रूप से मजारों का निर्माण कैसे हो गया इसको लेकर भी मुख्यमंत्री को इन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।

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