उत्तर प्रदेश सरकार ने आउटसोर्स भर्तियों के लिए निगम का ऐलान करते हुए कहा है कि अब सर्विस प्रोवाइडर के खाते में न जाकर मानदेय सीधे कर्मी के अकाउंट में आएगी.
उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश सरकार ने आउटसोर्स भर्तियों पर बड़ा फैसला लिया है. 2 सितंबर 2025 लखनऊ में कैबिनेट के दौरान आउटसोर्स संबंधित प्रस्ताव पर मुहर लगी. कैबिनेट बैठक के बाद प्रेस वार्ता में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम की कंपनीज एक्ट 2013 के सेक्शन आठ के अंतर्गत एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी नॉन प्रॉफिटेबल का जो गठन किया गया है. उसी के तहत उत्तर प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों तथा संस्थाओं में आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्मिकों की सेवाएं जो दी जा रही हैं. उसको बेहतर बनाने के लिए आज मंत्री परिषद के समक्ष एक प्रस्ताव आया जिसे मंजूर कर लिया गया.
उन्होंने कहा कि इसमें विशेष बात यह है कि नियमित पदों के अगेंस्ट इसमें आउटसोर्स या संविदा पर नहीं दिए जाएंगे. साथ ही साथ जो निगम है वह जेम पोर्टल के माध्यम से सर्विस प्रोवाइडर तय करेंगे. एजेंसी तय करेंगे और इन लोगों का जो मानदेय है वह 16,000 से ₹20,000 तक होगा. तीन वर्ष के लिए इनको सेवा का अवसर मिलेगा और किसी प्रकार की अनियमितिता पाई अगर जाती है तो एजेंसी निगम के संज्ञान में लाकर उनकी सेवाओं को समाप्त किया जा सकता है.
मैटरनिटी लीव का भी प्रावधान
बताया गया कि कर्मियों को एक तारीख से लेकर 5 तारीख तक इनका मानदेय मिल जाएगा और जितने भी जो प्रोविडेंट फंड का जो प्रोविजन है ईएसआई का है वो सब कुछ इनके खाते में ही जाएगा जो उस कार्मिक होगा अर्थात जो किसी न किसी रूप में सेवारत होगा उसी के जाएगा. उन्होंने बताया कि इसमें एससी एसटी ओबीसी भूतपूर्व सैनिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित, दिव्यांगजन ,महिला आरक्षण का प्रावधन भी इसमें किया गया है.
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की मंशा है कि पारदर्शी व्यवस्था के तहत लोग सेवा करें. यह पूछे जाने पर कि क्या हर साल मानदेय बढ़ेगा, वित्त मंंत्री ने कहा कि नहीं. हर साल नहीं होगा. महिलाओं के लिए मैटरनिटी लीव की व्यवस्था दी गई है. महीने में सभी कर्मियों से 26 दिन सेवा ली जाएगी. वित्त मंत्री ने कहा कि अगर किसी कर्मी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है तो सरकार उनके परिजनों को 15,000 रुपये देगी.