Delhi

अन्ना हजारे को क्यों दिया धोखा? मोहन भागवत से केजरीवाल के सवाल पर भड़की BJP

Published

on


दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भाजपा के जुबानी जंग लगातार जारी है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने रविवार को अरविंद केजरीवाल से पूछा कि उन्होंने भ्रष्टाचार रोधी अंदोलन के अगुआ अन्ना हजारे और कुमार विश्वास जैसे अपने सहयोगियों को धोखा क्यों दिया? आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक द्वारा रैली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से किये गए सवाल पर पलटवार करते हुए भाजपा ने उनसे यह भी पूछा कि उन्होंने लोकपाल के वादे को क्यों नहीं पूरा किया?

केजरीवाल ने यहां जंतर मंतर पर अपनी ‘जनता की अदालत’ रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यों के लिए आरएसएस से जवाब मांगा और इसके प्रमुख मोहन भागवत के सामने पांच सवाल रखे। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एक बयान में कहा कि केजरीवाल की रैली में कोई सार्वजनिक भागीदारी नहीं थी और यह उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा था जो फ्लॉप रहा।

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली में अपनी सरकार के तहत 10 साल के भ्रष्टाचार और अक्षमता के बाद, केजरीवाल ने अन्य राजनीतिक दलों से सवाल करने और भ्रष्टाचार पर बोलने का नैतिक अधिकार खो दिया है। सचदेवा ने कहा कि भाजपा केजरीवाल से पूछ रही है कि उन्होंने हजारे, किरण बेदी, शाजिया इल्मी और कुमार विश्वास जैसे अपने सहयोगियों के भरोसे को क्यों तोड़ा, अपनी प्रतिज्ञा को तोड़कर कांग्रेस के साथ गठबंधन क्यों किया, लोकपाल के अपने आदर्श के लिए क्यों कुछ नहीं किया?

दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि केजरीवाल, जिन्हें उच्चतम न्यायालय द्वारा कथित शराब घोटाला मामले में जमानत दी गई है, ने सरासर झूठ बोला और किराए की भीड़ के सामने पीड़ित कार्ड खेलने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि रैली में खुद को ‘कट्टर ईमानदार’ के रूप में पेश करने की केजरीवाल की कोशिश हास्यास्पद थी। यादव ने कहा कि अगर केजरीवाल ईमानदार थे और उन्होंने शराब घोटाला जैसा कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है, तो उन्होंने जमानत पर बाहर आने के बाद मुख्यमंत्री पद क्यों छोड़ दिया?

केजरीवाल ने रैली के दौरान भागवत से पूछा कि क्या वह विपक्षी दलों के नेताओं और सरकारों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके उन्हें निशाना बनाने की भाजपा की राजनीति और उसके नेताओं द्वारा भ्रष्ट करार दिए गए नेताओं को पार्टी में शामिल करने से सहमत हैं। उन्होंने आरएसएस प्रमुख से यह भी पूछा कि उन्हें भाजपा अध्यक्ष के उस कथित बयान पर कैसा लगा जिसमें उनकी पार्टी को संगठन की जरूरत नहीं होने का जिक्र है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version