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Uttarakhand

मोटे अनाज से बने उत्पाद के स्वाद सामने जंक फूड पड़ रहे फीके, हर जगह के लोग हो रहे स्वाद के मुरीद। 

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देहरादून – मोटे अनाज से बने उत्पाद स्वाद में जंक फूड को फेल कर रहे है। देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से आए लोग भी इनके मुरीद हो रहे है। ज्वार व बाजरे से बने सूप, समोसा, कचौड़ी, मट्टी, सुबह के भोजन व नमकीन लोगों के आकर्षण का केंद्र बन रही हैं।

रागी, ज्वार व कुट्टू से बने लड्डू व बिस्कुट अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। यहां कोदो चावल, कुट्टू, रागी, बाजरा, मल्टीग्रेन के साथ ही रागी पास्ता, बाजरा, कोदो, ज्वार व रागी नूडल्स बिक रहे हैं। यह स्वस्थ के लिए बेहद फायदेमंद है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की तरफ से आयोजित द्वारका स्थित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर (आईआईसीसी) में तीन दिवसीय सिआल इंडिया कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

इस आयोजन में सिक्कम से आए लोगों ने ज्वार, बाजरे से बनी चाय, तमिलनाडु से आए लोगों ने बच्चों के लिए मोटे अनाज का उत्पाद, उत्तर प्रदेश के लोगों ने ज्वार, बाजरे व रागी ने बने बिस्कुट प्रस्तुत किए हैं। इसके अलावा अन्य राज्यों के लोगों ने भी अपने उत्पाद यहां रखे हैं। आयोजन में दुनियाभर के 30 देशों में बने उत्पाद भी रखे गए हैं। इनमें दक्षिण कोरिया के किमची, जापान के रेमन, अफगानिस्तान के ड्राई फ्रूट्स सहित अन्य व्यंजन शामिल हैं। कार्यक्रम का उद्घाटन मंत्रालय की सचिव आईएएस अनिता प्रवीण ने किया। सिआल ग्रुप के निदेशक निकोला ट्रेंटेसाक्स ने बताया कि सिआल इंडिया भारतीय खाद्य बाजार को समझने और उनके सामने मौजूद अद्भुत अवसरों का आकलन करने का स्थान है।

स्वाद और सेहत के लिए सबसे बेहतर 
दुकानदार शैलेंद्र ने बताया कि उनके पास मोटे अनाज से बने लड्डू, समोसे, कचौड़ी, मट्ठी व उपलब्ध है। यह लोगों को खूब पसंद आ रहा है। यह उत्पाद कैल्शियम, मिनरल, विटामिन व प्रोटीन से भरपूर होते है। इन्हें खाने से मधुमेह भी तेजी से नहीं बढ़ता है। कोलेस्ट्रॉल भी कंट्रोल में रहता है। बच्चे यदि इन उत्पादों को खाते है तो उनके मस्तिष्क का तेजी से विकास होता है।

महिला सशक्तिकरण की अनूठी मिसाल देखने को मिली
प्रदर्शनी में आत्मनिर्भर व महिला सशक्तिकरण की अनूठी मिसाल देखने को मिली है। कुतुबगढ़ में रहने वाली तीन महिलाओं के समूह ने अपनी मेहनत से एक अलग जगह बनाई है। यहां ग्रामीण वूमेन सेल्फ हेल्प के ग्रुप का स्टॉल है। जहां रागी, बाजरा, जौ व ज्वार से बने बिस्कुट मिल रहे है। इनमें चीनी की जगह खांड व गुड़ का उपयोग किया गया हैं। दुकान के मालिक नवीन राणा ने बताया कि इसकी शुरुआत उनकी पत्नी समेत अन्य दो महिलाओं ने की थी। मौजूदा समय में रोजगार मिल पाना बेहद कठिन कार्य है, लेकिन, इन उत्पादों की बदौलत आज इन्हें रोजगार मिला है।मोटे अनाज से बनी चाय की अधिक मांग
सिक्किम के स्टॉल पर मोटे अनाज से बनी जैविक चाय भी मिल रही है। मालिक चिनमोई मोंटी ने बताया कि उनके पास आठ तरह की चाय हैं। इन्हें बनाने में ज्वार व बाजरा का उपयोग किया गया है। इसके अलावा तुलसी, गुलाब, ब्लू व ऑर्थरंगा की चाय भी उपलब्ध है। यह तंत्रिका से राहत दिलाती है व शांत रखती है। वह बताते है कि सबसे ज्यादा मांग मोटे अनाज से बनी चाय की हैं।

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