Uttar Pradesh

रिजर्व बैंक ने 200 रुपए वाले 137 करोड़ नोट बाजार से हटाए, जानिए वजह

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रिजर्व बैंक ने 200 रुपये वाले 137 करोड़ गंदे और जख्मी नोट बाजार से हटाए हैं। पिछले साल अप्रैल से मार्च के बीच 135 करोड़ नोट हटाने पड़े थे। आरबीआई की छमाही रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, कानपुर। आशीष दीक्षितTue, 8 Oct 2024 05:21 AM
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 पिछले छह महीने 200 रुपये के नोट पर सबसे भारी गुजरे हैं। इन पीले नोटों पर सबसे ज्यादा लिखावट हुई, यही सबसे ज्यादा कटे- फटे और सड़े-गले। इस साल अप्रैल से सितंबर के बीच रिजर्व बैंक ने 200 रुपये वाले 137 करोड़ गंदे और जख्मी नोट बाजार से हटाए हैं। पिछले साल अप्रैल से मार्च के बीच 135 करोड़ नोट हटाने पड़े थे। यानि पिछले पूरे साल में जितने नोट खराब हुए, उससे दो करोड़ ज्यादा नोट इस साल छह महीने में ही बेकार हो गए। वैसे कुल संख्या में देखें तो सबसे ज्यादा सड़े-गले नोट 500 रुपये वाले निकले। आरबीआई की छमाही रिपोर्ट में खुलासा हुआ है।

रिजर्व बैंक बाजार में चल रहे नोट सड़ने-गलने पर उन्हें वापस ले लेता है। तमाम नोट कटने-फटने और उन पर लिखावट के कारण वापस लेने पड़ते हैं। इस छमाही में 200 रुपये के नोट सबसे ज्यादा क्यों खराब हुए, इस बाबत बैकिंग विशेषज्ञ भी सटीक कारण नहीं बता पा रहे हैं। एक राष्ट्रीय बैंक के रीजनल मैनेजर ने कहा, ‘दो हजार का नोट बंद होने के बाद यही दूसरे नंबर पर बड़ी मुद्रा है। सर्वाधिक प्रचलन की वजह से ही ऐसा हो सकता है।’

सबसे ज्यादा खराब हुए 500 के नोट

आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक इस छमाही में सबसे ज्यादा खराब नोट 500 रुपये के ही निकले। इनके खराब होने का अनुपात पिछले साल के सापेक्ष कुछ बढ़ा गया सामान्य रहा। इनके सड़ने-गलने की रफ्तार में दो सौ के नोट की तरह असामान्यता नहीं देखी गई है। 2023-24 के 12 महीनों में पांच सौ के 633 करोड़ नोट हटाए गए थे। इस साल अप्रैल से सितंबर तक 459 करोड़ नोट चलन से दूर किए गए। यह लगभग 50 प्रतिशत ज्यादा है। दो सौ के नोटों में सड़ने-गलने का प्रतिशत 110 तक मिला है।

सड़े-गले होने के कारण हटाए गए नोट

मूल्यवर्ग इस साल छह महीने में पिछले पूरे साल में

● 05 रुपये 2.15 करोड़ 3.70 करोड़

● 10 रुपये 115 करोड़ 234 करोड़

● 20 रुपये 85.68 करोड़ 139 करोड़

● 50 रुपये 108 करोड़ 190 करोड़

● 100 रुपये 321 करोड़ 602 करोड़

● 200 रुपये 137 करोड़ 135 करोड़

● 500 रुपये 459 करोड़ 633 करोड़



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