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why jayant chaudhary plans to go with bjp instead of samajwadi party – India Hindi News

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बिहार में नीतीश कुमार ने INDIA अलायंस का साथ छोड़कर एनडीए का दामन थाम लिया है और 9वीं बार सीएम पद की शपथ ली है। अब उनके बाद यूपी में भी तस्वीर बदलती दिख रही है। यहां अखिलेश यादव के साथ 7 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमति जता चुके जयंत चौधरी भी पाला बदल सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि रालोद की भाजपा नेतृत्व के साथ बातचीत चल रही है और इसे लेकर जल्दी ही फैसला हो सकता है। दिलचस्प बात यह है कि सपा के साथ 7 सीटें पाने वाले जयंत चौधरी भाजपा से 5 सीटों के समझौते पर भी राजी हो सकते हैं। 

जयंत चौधरी ने सपा के साथ कई चुनाव लड़े हैं। अखिलेश यादव के साथ उनकी अच्छी केमिस्ट्री भी दिखी थी, लेकिन अब तक कोई खास फायदा पार्टी को नहीं मिला है। ऐसे में रालोद ने आगे की संभावनाओं को देखते हुए INDIA अलायंस को छोड़कर भाजपा के ही साथ जाने की तैयारी कर ली है। सपा के ही समर्थन से मई 2022 में राज्यसभा सांसद बने जयंत चौधरी का मानना है कि यदि वे भाजपा के साथ गए तो उनकी जीत का औसत अधिक हो सकता है। सपा के साथ 7 सीटों पर लड़ने के बाद भी कितने पर जीत मिलेगी, इसे लेकर रालोद में संशय की स्थिति है। इसलिए रालोद के सपा की 7 सीटें छोड़कर भाजपा के साथ जाने की डील की करने की पहली वजह यही है।

पार्टी की मान्यता पर भी है संकट, अखिलेश के साथ बचनी मुश्किल

दूसरी वजह यह है कि रालोद के आगे राज्य स्तर की मान्यता प्राप्त पार्टी का दर्जा छिनने का भी खतरा है। यदि उसका वोट शेयर कम रहेगा तो फिर यह संकट उसके दरवाजे पर होगा। ऐसे में रालोद को लगता है कि वह भाजपा के साथ जिन सीटों पर लड़ेगी, वहां उसकी जीत की संभावनाएं अधिक होंगी और वोट प्रतिशत भी ज्यादा होगा। रालोद ने 2009 में भाजपा के साथ चुनाव लड़ा था और तब उसे 5 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। रालोद उसी मॉडल को एक बार फिर से दोहराना चाहती है।

बेस वोट ही खिसकने का खतरा, इसलिए भाजपा के पाले में जा रहे

तीसरी और सबसे बड़ी वजह पार्टी के वोटबैंक के ही बिखरने का संकट है। दरअसल रालोद को जाट मतदाताओं की पार्टी माना जाता है, लेकिन 2017, 2019 और 2022 में जाट वोट बंट गए थे। इसकी वजह यह है कि भाजपा को भी जाट मतदाता बड़ी संख्या में वोट करते रहे हैं। खासतौर पर तब उनका झुकाव भाजपा की ओर अधिक होता है, जब रालोद के जीतने की संभावना न हो। इसलिए रालोद जाटों के एकमुश्त वोट पाने और अन्य समुदायों को भी साथ जोड़ने के लिए भाजपा के पाले में जाना चाहती है।



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