Uttar Pradesh
urine pipe was also sealed along with the uterus negligence of doctors took the woman life
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Woman dies due to doctors’ negligence: यूपी के देवरिया में डॉक्टरों की लापरवाही ने एक महिला की जान ले ली। कुछ दिन पहले एक प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों ने ऑपरेशन के दौरान महिला के बच्चेदानी पर टांका लगाते समय उसकी पेशाब नली भी सील कर दिया। जिससे महिला के किडनी और बच्चेदानी में संक्रमण फैल गया। महीनों इलाज कराने के बाद भी महिला की जान नहीं बच सकी। बुधवार की सुबह वह जिंदगी से जंग हार गई।
बीते 19 जनवरी को बघौचघाट थाना क्षेत्र के मुंडेरा (पांडेयपुर) गांव की रहने वाली संध्या देवी(30) पत्नी अजय पटेल को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने पथरदेवा के एक प्राइवेट अस्पताल पर भर्ती कराया। यहां पर डॉक्टरों ने महिला का आपरेशन कर नवजात बच्ची को गर्भ से बाहर निकाला आपरेशन के कुछ घंटों बाद ही महिला की पेशाब रुक गई । 28 जनवरी को अस्पताल ने महिला को जबरदस्ती डिस्चार्ज कर दिया। परिजनों ने महिला को गोरखपुर के एक प्राइवेट अस्पताल पर भर्ती कराया। यहां पर डॉक्टरों ने महिला का दोबारा ऑपेरशन किया तो पता चला कि बच्चेदानी में टांका लगाते समय पेशाब की नली को भी सील कर दिया गया है जिससे पेट के आंतरिक अंगों में संक्रमण फैल गया। कुछ दिनों बाद महिला की दोनों किडनी फेल कर गई। 22 मार्च को इलाज कर रहे डॉक्टरों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए। 23 मार्च को परिजन महिला को घर लेकर आ गए। बुधवार की भोर में महिला की तबीयत ज्यादा नाजुक हो गई। सुबह करीब साढ़े नौ बजे उसने दम तोड़ दिया।
बगैर लाइसेंस के चल रहा है अस्पताल
जिस अस्पताल पर महिला का आपरेशन हुआ है। वह फर्जी ढंग से चल रहा है। उसका स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस ही नहीं है। संचालक ने अस्पताल का केवल ओपीडी और आइपीडी का ही रजिस्ट्रेशन कराया है। उसी के आड़ में सर्जरी को भी अंजाम दिया जाता है। तीन रोज पहले सीएमओ अस्पताल का लाइसेंस संस्पेंड कर चुके हैं।
पहले भी महिलाओं की जा चुकी है जान
संबंधित अस्पताल पर कोई यह पहला मामला नहीं है। यहां पर पैसों के लिए हर रोज मरीजों की जान जोखिम में डाली जाती है। दिखावे के लिए अस्पताल पर ओपीडी से लेकर कुशल सर्जन तक की सेवा चौबीस घंटे उपलब्ध होने का दावा किया जाता है लेकिन हकीकत कुछ और ही है। वर्ष 2015 में तरकुलवा के बालपुर गांव की रहने वाली एक महिला का प्रसव पीड़ा होने पर इस अस्पताल पर ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के दो दिन बाद ही महिला की मौत हो गई। घटना के बाद संबंधित अस्पताल संचालक और आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ तरकुलवा थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। तत्कालीन डिप्टी सीएमओ डॉ. एसएन सिंह ने अस्पताल को सील भी कराया। बाद में मामला रफा-दफा हो गया।
नतीजा फिर से अस्पताल शुरू हो गया। इसके दो वर्ष बाद मई 2017 में बिहार राज्य के कटेया निवासी एक शिक्षिका की अस्पताल में आपरेशन के दौरान ही मौत हो गई। मृतका के परिजनों ने थाने में तहरीर भी दी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सूत्रों की मानें तो अस्पताल संचालक की ऊंची पकड़ है। इसके चलते उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है। यहां तक की प्रसव के समय बिना किसी कुशल एनेस्थीसिया और बालरोग विशेषज्ञ के महिलाओं का पेट फाड़ दिया जाता है। भाग भरोसे ऑपरेशन सफल हुआ तो ठीक वरना जान जानी तय है।