Uttar Pradesh

UP Ayodhya Bank safe filled with Sitaram name devotees from India and abroad are account holders

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अयोध्या में भगवान राम के नाम का एक ऐसा बैंक है जहां रुपये का लेन-देन नहीं होता, बल्कि यहां की तिजोरी ‘सीताराम’ नाम के खजाने से भरी है। इस में हिन्दुस्तान के अलावा मुस्लिम देश सऊदी अरब व अन्य देशों के रामभक्त खाताधारक हैं। देश- विदेश में बैंक की कुल 150 शाखाएं हैं। इसमें लगभग 28 हजार खाताधारक हैं। इस बैंक का ‘अंतरराष्ट्रीय श्री सीताराम बैंक’ नाम है। राममंदिर निर्माण शुरू होने के बाद से इसमें खाता खोलने की होड़ लग हुई है।

अंतरराष्ट्रीय श्री सीताराम बैंक मणिरामदास छावनी परिसर के वाल्मीकि रामायण भवन में स्थित हैं। बैंक की स्थापना श्रीराम जन्मभूमि तीथ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास की प्रेरणा से 24 नवम्बर 1970 को कार्तिक कृष्ण पक्ष एकादशी को हुई थी। बैंक की यूपी, एमपी, बिहार, महाराष्ट्र के अलावा यूएसए, फिजी, नेपाल, सऊदी अरब में भी शाखाएं हैं। विदेशों में प्रवासी भारतीय रामभक्त बैंक के खाता धारक हैं जो कोरियर से सीताराम लिखकर भेजते रहते हैं।

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राम नाम लिखने के लिए निशुल्क दी जाती है कॉपी

बैंक से सीताराम लिखने के लिए भक्तों को 64 पेज की कॉपी निशुल्क प्रदान की जाती है। जो पांच लाख सीताराम या राम-राम लिखकर जमा करता है वह बैंक का खाताधारक बन सकता है। उसके बाद खाताधाकर को पास बुक प्रदान की जाती है। बैंक के रजिस्टर में संबंधित व्यक्ति का नाम- पता भी दर्ज किया जाता है। सदस्यों की पासबुक में भी उनके लिखित नाम लेखन की संख्या तिथिवार दर्ज होती है। राममंदिर निर्माण शुरू होने के बाद से सीताराम नाम लेखन की होड़ कई गुना बढ़ गई है। वर्षभर में लगभग 500 नए सदस्य बैंक के खाताधारक बन गए हैं।



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