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Madhya Pradesh

truck drivers strike issue reached madhya pradesh high court gave strict orders to mohan yadav govt

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truck drivers strike issue reached madhya pradesh high court gave strict orders to mohan yadav govt


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मध्य प्रदेश में जारी ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल (Truck Driver Strike) पर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने जबलपुर स्थित हाई कोर्ट पीठ में याचिका दाखिल कर के हड़ताल को असंवैधानिक बताया है। याचिका में हड़ताल को तत्काल खत्म कराने की मांग की गई है। याचिका पर चीफ जस्टिस की बेंच में हुई सुनवाई हुई। हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को सख्त निर्देश जारी किए। अदालत ने सरकार से कहा कि हड़ताल को तुरंत खत्म कराए जाए और परिवहन बहाल किया जाए। 

उपद्रवियों पर होगी सख्त कार्रवाई

मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने पैरवी की। एडवोकेट जनरल ने अदालत को भरोसा दिलाया कि सरकार जरूरी वस्तुओं की सप्लाई को लेकर कठोर कदम उठाएगी। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि हड़ताली एसोसिएशन पर कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही उपद्रव करने वाले ट्रक, टैंकर और बस चालकों पर भी कार्रवाई की जाएगी।

पीछे हटने को तैयार नहीं ड्राइवर

मामले में बस एवं ट्रक एसोसिएशनों की ओर से कोई दलील नहीं दी गई है। अगली सुनवाई नोटिस तमिल होने के बाद की जाएगी। अदालत ने सरकार को कठोर कदम उठाने के निर्देश जारी किए हैं। मालूम हो कि सूबे में बीते 2 दिनों जारी ड्राइवरों की हड़ताल के कारण आपूर्ति प्रभावित हुई है। बस चालकों का कहना है कि जब तक सरकार की ओर से हिट एंड रन कानून में बदलाव किए जाने का लिखित भरोसा नहीं मिलता तब तक हड़ताल जारी रहेगी। वहीं बस चालकों की हड़ताल के समर्थन में ऑटो चालक संघ भी उतर आया है।

सूबे में पांच लाख वाहनों के पहिए थमे

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष (पश्चिमी क्षेत्र) विजय कालरा ने बताया कि नए कानून में ‘हिट एंड रन’ मामलों में सख्त सजा के प्रावधानों के खिलाफ ड्राइवरों की हड़ताल के चलते सूबे में करीब पांच लाख वाहनों के पहिए थम गए हैं। वहीं बस चालक एसोसियन के महामंत्री राजेश सेन ने कहा कि बस मालिक हमारे घर जाकर दबाव बना रहे हैं कि बस चलाओ नहीं तो नौकरी से निकाल देंगे। हमारा कहना है कि बस मालिक हम पर कितना भी दबाव बना लें लेकिन हम नहीं मानेंगे। भले ही नौकरी छोड़नी पड़े।

रिपोर्ट- विजेंद्र यादव



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