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salary brd medical college gorakhpur payment for oxygen also stuck

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BRD Medical College Gorakhpur: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में शिक्षक, पैरामेडिकल स्टॉफ, स्थाई और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को फरवरी का वेतन नहीं मिला है। वेतन के इंतजार में कर्मचारियों की होली भी बदरंग हो सकती है। वहीं लिक्विड ऑक्सीजन का भी करीब सवा करोड़ रुपए का भुगतान अधर में लटका हुआ है। बीआरडी मे वेतन और दूसरे बिल के भुगतान की फाइलें प्राचार्य कार्यालय में धूल फांक रही हैं। इसकी वजह है कार्यवाहक प्राचार्य को वित्तीय अधिकार न मिलना। 

दरअसल बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पूर्व प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार बीते 31 जनवरी को रिटायर हो गए। उन्होंने प्राचार्य का कार्यभार कालेज के सबसे सीनियर शिक्षक और एनेस्थीसिया के विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील आर्या को सौंप दिया। कार्यवाहक प्राचार्य को नियमित कार्य संपादित करने के अधिकार तो दिए गए लेकिन उन्हें वित्तीय अधिकार नहीं मिला। इसी वजह से बीआरडी के भुगतान में पेंच फंस गया है।

वेतन बिल पर नहीं हुए हस्ताक्षर 

मेडिकल कॉलेज में करीब डेढ़ सौ शिक्षक, 350 रेजिडेंट, 550 नर्सों समेत 1400 से अधिक कर्मचारी तैनात हैं। इनमें, स्थाई, संविदा और आउटसोर्सिंग तीनों पर कर्मचारी तैनात है। आउटसोर्सिंग की चार फर्में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में क्रियाशील हैं। स्थाई व संविदा शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन बिल पर प्राचार्य ने हस्ताक्षर नहीं किया। सेवा प्रदाता फर्मों की भी बिल की फाइलें प्राचार्य कार्यालय में रखी हुई है।

लिक्विड ऑक्सीजन फर्म ने आपूर्ति रोकने का दिया नोटिस

बीआरडी मेडिकल कॉलेज को लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति आईनॉक्स कंपनी करती है। कंपनी का करीब सवा करोड़ रुपए का भुगतान लंबित हो गया है। फर्म ने मेडिकल कॉलेज को ऑक्सीजन आपूर्ति बंद करने का नोटिस भी दे दिया है। यह फाइल भी प्राचार्य कार्यालय में पड़ी हुई है। गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2017 में 67 लाख रुपए के बकाए में तत्कालीन फर्म लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दी थी। इसके बाद कॉलेज में मरीजों के लिए ऑक्सीजन का संकट खड़ा हो गया था।

कर्मचारियों की बदरंग हो सकती है होली

वेतन न मिलने से सबसे ज्यादा परेशानी में संविदा व आउटसोर्सिंग कर्मचारी हैं। संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का वेतन बेहद अल्प है। वह जैसे तैसे घर का खर्च चलते हैं। इसी महीने में होली जैसा प्रमुख त्योहार है। वेतन भुगतान न होने से वह कर्मचारी हलकान है।

गोरखपुर में एनएचएम का बजट भी फंसा

गोरखपुर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की कई योजनाएं भी मेडिकल कॉलेज से संचालित होती हैं। मेडिकल कॉलेज को हर वर्ष करीब पौने 10 करोड़ रुपए एनएचएम के फंड से मिलते हैं। बीते 11 महीने में कालेज ने इस फंड का अब तक सिर्फ 24 फीसदी ही खर्च किया है। आगामी 31 मार्च तक उसे पूरी रकम खर्च करनी है। इस पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।

क्‍या बोले प्रिंसिपल 

प्राचार्य डॉ.सुनील आर्या ने कहा कि यह सही है कि कर्मचारियों का वेतन नहीं मिला है। इस संदर्भ में शासन को सूचित किया जा चुका है। प्रशासनिक अधिकारियों को भी सूचित किया गया है। मुझे वित्तीय अधिकार नहीं मिला है। मैं हस्ताक्षर नहीं कर सकता।



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