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Rajasthan cop 22-month-old son battles rare disease Spinal Muscular Atrophy Rs 17 crore Zolgensma injection needed for treatment parents seek help

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Rajasthan cop 22-month-old son battles rare disease Spinal Muscular Atrophy Rs 17 crore Zolgensma injection needed for treatment parents seek help


राजस्थान के धौलपुर में 22 महीने के एक मासूम बच्चे और उसके परिवार को एक जेनेटिक और जानलेवा बीमारी ने घेर लिया है। बच्चे की जान बचाने के लिए अब केवल 2 महीने ही शेष बचें हैं और उसके लिए 17.5 करोड़ रुपये के इंजेक्शन की जरूरत है। बच्चे के पिता नरेश शर्मा राजस्थान पुलिस में सब-इंस्पेक्टर हैं और वर्तमान में भरतपुर रेंज में तैनात हैं।

जानकारी के अनुसार, 22 महीने का हृदयांश स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) टाइप 2 के सबसे गंभीर रूप से लड़ रहा है। यह बीमारी वॉलंटरी मसल्स को खराब कर देती है और सांस लेने में दिक्कत पैदा करती है। बीमारी के इलाज के लिए 17.5 करोड़ रुपये के इंजेक्शन की जरूरत है, जिसके लिए उसका परिवार क्राउड फंडिंग के जरिए जनता से मदद मांग रहा है। बच्चे के पिता नरेश शर्मा अपने मासूम बेटे की हर दिन बिगड़ती तबीयत को देखकर खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं, जिसे निरंतर देखभाल की आवश्यकता है।

जोल्गेन्स्मा इंजेक्शन दुनिया के सबसे महंगे इंजेक्शनों में से एक

हृदयांश का एकमात्र इलाज जोल्गेन्स्मा इंजेक्शन (Zolgensma Injection) है, जो दुनिया के सबसे महंगे इंजेक्शनों में से एक है। इसे 24 महीने से पहले एक बार की खुराक के रूप में दिया जाता है – केवल दो महीने शेष रहते हुए, लड़के का परिवार हताश है और किसी चमत्कार की उम्मीद कर रहा है।

इस इंजेक्शन को 24 महीने से पहले सिंगल डोज के रूप में दिया जाता है। बच्चा अब 22 महीने का हो चुका है और अब उसके पास केवल दो महीने बचे हैं। हर बीतते दिन के साथ बेटे की जान पर आ रहे संकट से उसका परिवार हताश और परेशान है और किसी चमत्कार की ही उम्मीद कर रहा है।

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का एकमात्र इलाज है जोल्गेन्स्मा इंजेक्शन

हृदयांश के पिता नरेश शर्मा ने कहा कि कुछ हफ्ते पहले ही परिवार को बताया गया था कि हृदयांश बैठ सकता है, लेकिन खड़ा नहीं हो सकता या खुद से चल नहीं सकता। नरेश ने कहा, “डॉक्टर ने इसके एकमात्र इलाज के रूप में जोल्गेन्स्मा इंजेक्शन लगाने की जरूरत बताई है, लेकिन अकेले एक डोज की कीमत लगभग 17.5 करोड़ रुपये है। यह मेरे और मेरे परिवार के लिए बहुत बड़ी रकम है। हम इसे अफॉर्ड नहीं कर सकते।”

हृदयांश की मां क्षमा शर्मा ने कहा कि स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी उनके बेटे की मसल्स को बुरी तरह नुकसान पहुंचा रही है, जिसे समय पर इलाज से ही रोका जा सकता है। उन्होंने लोगों से उनके बेटे के इलाज के लिए मदद करने की भी अपील की है। क्षमा शर्मा ने कहा कि लोगों की थोड़ी सी मदद, मेरे बेटे की जिंदगी के लिए वरदान साबित हो सकती है। डॉक्टरों ने हमें बताया है कि यह बीमारी नुकसान पहुंचाती रहेगी, इसलिए इसे रोकने के लिए हमें इंजेक्शन की जरूरत है। हम बस उसे अपने दम पर खड़ा होते देखना चाहते हैं।

अब तक 1 करोड़ 70 लाख रुपये से ज्यादा की रकम जुटाई

बच्चे के इलाज के लिए अब तक 1 करोड़ 70 लाख रुपये से ज्यादा की रकम इकट्ठा हो चुकी है। हृदयांश की मदद के लिए पुलिस विभाग के शीर्ष अधिकारियों समेत कई लोग सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर अभियान चला रहे हैं।

भरतपुर आईजी राहुल प्रकाश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ के जरिए लोगों से मदद की अपील की है। आईजी  के अलावा भरतपुर एसपी, धौलपुर एसपी और संभाग के अन्य पुलिस अधिकारी और खुद डीजीपी भी हृदयांश के लिए मदद जुटाने के लिए अभियान चला रहे हैं।

हृदयांश की मसल्स हो रहीं कमजोर

हृदयांश का इलाज कर रहे डॉक्टर प्रियांशु माथुर ने कहा कि हृदयांश के पैरेंट्स तब डॉक्टरों के पास गए जब वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पा रहा था, हालांकि वह उस उम्र में पहुंच गया था जब आमतौर पर एक बच्चा ऐसा कर सकता है। टेस्ट में यह पाया गया कि उसके पैर की मसल्स ठीक से काम नहीं कर रही थीं।

डॉक्टर माथुर ने आगे बताया कि हमारी रीढ़ की हड्डी के पास वीक नर्व सेल्स एसएमए का कारण बनती हैं। उम्र के साथ इस बीमारी की स्थिति और भी गंभीर होती जाएगी। यह बीमारी रेस्पिरेटरी मसल्स पर भी असर डालेगी। इसके चलते, बच्चा बार-बार निमोनिया होगा। गंभीरता के आधार पर, इस बीमारी को टाइप 1, 2 और 3 के रूप में बांटा गया है, टाइप 1 सबसे गंभीर है और टाइप 3 सबसे कम गंभीर है।

हृदयांश की तरह, भारत में कई माता-पिता जोल्गेन्स्मा और अन्य एसएमए दवाएं खरीदने में सक्षम नहीं हैं। हालांकि इस बीमारी से पीड़ित भारतीयों की संख्या पर कोई ऑफिशियल डेटा मौजूद नहीं है, लेकिन मौजूदा रिकॉर्ड से पता चलता है कि एसएमए 10,000 जीवित शिशुओं में से लगभग 1 को प्रभावित करता है। एक स्टडी के अनुसार, 38 में से 1 भारतीय एसएमए का कारण बनने वाले दोषपूर्ण जीन का वाहक है, जबकि पश्चिम देशों में 50 में से 1 व्यक्ति एसएमए का कारण बनता है। 



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