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PM Modi announces Bharat Ratna to five celebrities of different ideology in year what is 5M formula behind this game – India Hindi News – PM मोदी ने यूं ही नहीं दिया एक साल में पांच हस्तियों को ‘भारत रत्न’,  समझें

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस साल पांच विभूतियों (कर्पूरी ठाकुर, लालकृष्ण आडवाणी, चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और डॉ. एमएस स्वामीनाथन)  को देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने का फैसला किया है। पांच में से चार हस्तियां राजनीतिक हैं, जबकि एमएस स्वामीनाथन कृषि वैज्ञानिक रहे हैं। आडवाणी को छोड़कर बाकी हस्तियों को यह अलंकरण मरणोपरांत दिए जाएंगे।

बड़ी बात यह है कि चारों राजनीतिक हस्तियों में लालकृष्ण आडवाणी को छोड़कर तीन विपरीत विचारधारा और विपक्षी राजनीतिक दलों के नेता रहे हैं। कर्पूरी ठाकुर बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे, जिनका संबंध पहले कांग्रेस और बाद में लोक दल और जनता पार्टी से रहा। चौधरी चरण सिंह पूर्व प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं जिनका सियासी सफर कांग्रेस से शुरू हुआ लेकिन पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी से मतभेद के बाद अपनी पार्टी बनाई और यूपी के पहले गैर कांग्रेसी सीएम बने। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव भी कांग्रेसी थे और बीजेपी की विचारधारा के प्रबल विरोधी थे।

क्या है ये 5M फार्मूला

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार पीएम मोदी ने अलग-अलग विचारधाराओं वाली हस्तियों को चुनावी साल में देश का सर्वोच्च अलंकरण क्यों दिया और उसके पीछे क्या कोई सियासी संकेत या फार्मूला छिपा है। गहराई से मंथन करने पर पता चलता है कि पीएम मोदी ने 2024 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है। इसके पीछे उनका 5M का मंत्र और फार्मूला छिपा है। भारत रत्न देने के पीछे छिपे 5M फार्मूले से मतलब मंडल, मंदिर, मंडी, मार्केट और मिलेट्स से है।

कर्पूरी ठाकुर से मंडल मंत्र

भारत की राजनीति में मंडल शब्द का इस्तेमाल ओबीसी वोट बैंक का एक पर्याय बन चुका है। बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर पीएम मोदी, जो खुद एक ओबीसी नेता हैं, ने बड़े पैमाने पर पिछड़ी जातियों खासकर अति पिछड़ी जातियों को साधने की कोशिश की है। ठाकुर खुद नाई जाति से ताल्लुक रखते थे, जो समाज का एक दबा कुचला और वंचित वर्ग रहा है। मोदी से पहले तक ओबीसी वर्ग का बड़ा हिस्सा बीजेपी को वोट देने से परहेज करता रहा है लेकिन 2014 के चुनावों से ओबीसी वर्ग का बीजेपी की तरफ झुकाव हुआ है। 2024 के चुनावों से ऐन पहले कर्पूरी ठाकुर को सर्वोच्च सम्मान देकर पीएम मोदी ने बिहार में नीतीश कुमार को तो अपने पाले में किया ही, आसपास के राज्यों में तथाकथित सामाजिक न्याय की पक्षधर पार्टियों के ईबीसी वोटवैंक में भी सेंध लगाई है।

लालकृष्ण आडवाणी के बहाने मंदिर मंत्र

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी देश में राम मंदिर आंदोलन के पर्याय रहे हैं। सितंबर 1990 में उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ यात्रा निकाली थी लेकिन बिहार में तत्कालीन लालू यादव की सरकार ने उन्हें अक्टूबर 1990 में गिरफ्तार कर लिया था। अब जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो चुका है और वहां रामलला विराजमान हो चुके हैं, तब आडवाणी को भारत रत्न देकर ना केवल उनके त्याग, समर्पण और परिश्रम को सम्मानित किया गया है बल्कि यह संदेश भी देने की कोशिश की गई है कि जो कोई भी देश हित में कार्य करेगा, उसका देर-सबेर सम्मान होगा। लगे हाथ हिन्दुत्व लहर को भी साधने की कोशिश हुई है। 

चौधरी चरण सिंह के बहाने मंडी पर निशाना

मंडी से मतलब किसानों की मंडी, उनकी उपज, खेतीबारी और पूरी किसानी परंपरा से है। भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह किसानों के मसीहा कहलाते थे, जिन्होंने देश में सहकारी कृषि लागू करने के मुद्दे पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से पंगा ले लिया था और कॉपरेटिव फार्मिंग का जमकर विरोध किया था। चौधरी साहब ने यूपी में मंत्री रहते हुए जमीन्दारी प्रथा को खत्म किया था और किसानों को जमीन का मालिकाना हक दिलवाया था। उन्होंने पटवारी व्यवस्था भी खत्म कराई थी। वह किसानों के सच्चे हिमायती थे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत आसपास के करीब आधा दर्जन राज्यों में जाट वोटरों और किसान वोटरों के बीच चौधरी साहब सर्वस्वीकार और निर्विवाद नेता रहे हैं। उन्हें यह सम्मान देकर रालोद को एनडीए में शामिल कराने के अलावा किसान आंदोलन की आग को भी ठंडा करने की कोशिश की गई है। 

नरसिम्हा राव से साधा मार्केट मंत्र

1991 से 1996 तक देश के प्रधानमंत्री रहे पीवी नरसिम्हा राव ने अपने कार्यकाल में आर्थिक उदारीकरण लागू किया था। उन्हें भारतीय आर्थिक सुधारों का जनक भी कहा जाता है। राव ने अपने वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के साथ मिलकर भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया था। उन्होंने देश में विदेशी निवेश के दरवाजे खोले थे और घरेलू बाजार को नियमित करने के लिए कई सुधार किए थे। राव को भारत रत्न देकर पीएम मोदी ने अर्थव्यवस्था और उससे जुड़ी बाजार व्यवस्था, कॉरपोरेट जगत के साथ-साथ कांग्रेस के उपेक्षितों को सम्मान देने और उन्हें अपनी ओर खींचने की कोशिश की है।

स्वामीनाथन यानी मिलेट्स

कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन भारत में हरित क्रांति के जनक माने जाते हैं। उन्होंने तब देश को नया संबल दिया था, जब देश अभी आजाद ही हुआ था और खाद्यान्न संकट था। उस वक्त हमें विदेशों से चावल-गेहूं -दाल और अन्य अनाज आयात करना पड़ता था और बंदरगाहों पर सरकार की निगाहें टिकी रहती थीं। स्वामीनाथन ने फसल की नई किस्मों का ईदाज कर ना सिर्फ भारत को खाद्यान्न के मामले में आत्मनर्भर बनाया बल्कि आज भारत विदेशों में अनाज निर्यात कर रहा है। आज जब फिर से पूरी दुनिया मिलेट्स पर जोर दे रही है, तब स्वामीनाथन का सम्मान कर पीएम मोदी ने किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ-साथ शोधकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ाया है और उन्हें सबका साथ, सबका विकास की परिभाषा में समेटने की कोशिश को साकार किया है।



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