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Madhya Pradesh

mp high court reserves order archaeological survey of bhojshala vagdevi kamal maula mosque

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mp high court reserves order archaeological survey of bhojshala vagdevi kamal maula mosque


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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार को धार जिले के भोजशाला (Bhojshala) में पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। बता दें कि भोजशाला एएसआई संरक्षित 11वीं सदी का स्मारक है, जिसके बारे में हिंदू दावा करते हैं कि यह वाग्देवी (देवी सरस्वती, Vagdevi, Saraswati) का मंदिर है, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमल मौला मस्जिद (Kamal Maula Mosque) मानता है।

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने 2 मई 2022 को भोजशाला में नमाज पढ़ने के खिलाफ याचिका दायर की थी।याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति देव नारायण मिश्र और न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी की खंडपीठ ने काशी की ज्ञानवापी की तर्ज पर धार स्थित भोजशाला का सर्वे कराने की मांग पर दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया।

याचिकाकर्ता के वकील विष्णुकांत शर्मा ने कहा कि भोजशाला को देवी सरस्वती का मंदिर (Bhojshala temple of goddess Saraswati) साबित करने के लिए 1902 में किए गए एएसआई सर्वे को लेकर डिविजन बेंच के सामने बहस हुई थी।

वकील ने अपनी दलीलों में कहा- हमारी मांग है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया जाए, ताकि यह साफ हो जाए कि भोजशाला का धार्मिक चरित्र क्या है? सर्वे रिपोर्ट में अगर पता चला कि वहां मस्जिद थी तो पूजा नहीं होगी, लेकिन अगर पता चला कि वहां मंदिर है तो नमाज नहीं पढ़ी जानी चाहिए…

वकील ने कहा, ‘हमने कोर्ट में रंगीन तस्वीरें भी पेश की हैं, जिनसे साफ है कि खंभों पर संस्कृत के श्लोक लिखे हुए हैं। यहां सरस्वती माता वाग्देवी का मंदिर है। यह प्रतिमा लंदन के संग्रहालय में है। याचिका में दावा किया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत केवल हिंदू समुदाय के सदस्यों को ‘सरस्वती सदन’, जिसे आमतौर पर ‘भोजशाला’ के नाम से जाना जाता है, के परिसर के भीतर देवी वाग्देवी/सरस्वती के स्थान पर पूजा पाठ और अनुष्ठान करने का मौलिक अधिकार है। 

याचिका में यह भी कहा गया है कि मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को उपरोक्त संपत्ति के किसी भी हिस्से को किसी भी धार्मिक उद्देश्य के लिए उपयोग करने का कोई अधिकार नहीं है। वहीं धार शहर के काजी वकार सादिक ने कहा कि हमारे पास 1881 की सर्वेक्षण रिपोर्ट है कि यह एक मस्जिद है। धार में लोग इसे अच्छी तरह से जानते हैं लेकिन भारत में लोगों का एक वर्ग विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहा है। हम अदालत के सामने अपना पक्ष रखेंगे और केस जीतेंगे। 



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