Madhya Pradesh

madhya pradesh congress leader nisha bangre applied to come back to government job as deputy collector

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नौकरशाह से कांग्रेस नेता बनीं मध्य प्रदेश की पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे (Nisha Bangre) अब राजनीति से भी ऊब गई हैं। वह अब दोबारा से सरकारी नौकरी में वापस लौटना चाहती हैं। वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता की जिम्मेदारी संभाल रही निशा बांगरे ने इसके लिए आवेदन भी कर दिया है। हालांकि, अभी इस पर सरकार की ओर से कोई फैसला नहीं लिया गया है। उन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पिछले साल जून में नौकरी से इस्तीफा दे दिया था।

मध्य प्रदेश में पूर्व डिप्टी कलेक्टर जैसी पावरफुल जॉब छोड़ राजनीति में आईं अब अपनी पुरानी नौकरी वापस चाहती हैं। वह कांग्रेस के टिकट पर 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। हालांकि, बीते 27 मार्च को ही प्रदेश कांग्रेस ने उन्हें प्रवक्ता का पद दिया था। वह कथित तौर पर लोकसभा चुनाव टिकट के लिए भी प्रयास कर रही थीं, लेकिन पार्टी ने उन पर विचार नहीं किया।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, छतरपुर जिले के लवकुशनगर की एसडीएम रहीं निशा बांगरे ने अपने इस्तीफे के समय भोपाल में संवाददाताओं से कहा, “मुझे कांग्रेस ने प्रवक्ता का पद दिया था, लेकिन मैंने इसे स्वीकार नहीं किया क्योंकि मैंने सरकारी सेवा में फिर से शामिल होने के लिए आवेदन किया है। अभी तक मुझे कोई जवाब नहीं मिला। मुझे लोकसभा टिकट देने का भी वादा किया गया था।”

बांगरे ने कथित तौर पर इस साल जनवरी महीने में मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार से अपनी पुरानी नौकरी वापस पाने के लिए आवेदन भेजा था।

2023 में वह बैतूल जिले की आमला सीट से विधानसभा चुनाव लड़ना चाह रही थीं। बैतूल में अंतर्राष्ट्रीय सर्व धर्म शांति सम्मेलन और विश्व शांति पुरस्कार पुरस्कार समारोह में भाग लेने के लिए कथित तौर पर छुट्टी नहीं मिलने के बाद बांगरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। बांगरे ने अपने इस्तीफे के साथ यह आरोप लगाया था कि एक बौद्ध के रूप में सम्मेलन में ‘तथागत बुद्ध’ के अवशेषों को देखने की अनुमति नहीं दिए जाने से उनकी “धार्मिक भावनाओं को अपूरणीय क्षति हुई है”।

पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने उस समय इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था चूंकि भाजपा सरकार ने काफी समय तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था। माना जाता है कि ऐसा इसलिए किया गया था ताकि बांगरे को कांग्रेस का टिकट नहीं मिल सके। वह बैतूल से भोपाल तक 300 किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा पर निकलीं, जहां बी.आर. अंबेडकर की मूर्ति पर माला चढ़ाने की कोशिश करते समय उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। हालांकि, अंततः उनका इस्तीफा स्वीकार होने के बाद भी निशा बांगरे को टिकट नहीं दिया गया। कांग्रेस ने आमला से मनोज मालवे को मैदान में उतारा और वह भाजपा से हार गए। 



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