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Lok Sabha Election 2024: Sachin Pilot reputation at stake in Dausa Lok Sabha elections

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Lok Sabha Election 2024: Sachin Pilot reputation at stake in Dausa Lok Sabha elections


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पूर्वी राजस्थान की सियासत का केंद्र बिंदु कहे जाने वाले दौसा में सचिन पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर है। दौसा को पायलट फैमिली का गढ़ माना जाता है। लेकिन लगातार तीन बार से यहां से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी चर्चा है बीजेपी इस बार दौसा सांसद जसकौर मीणा का टिकट काट सकती है। किरोड़ी लाल के भाई जगमोहन मीणा को मिल सकता है। जबकि कांग्रेस सचिन पायलट कैंप के विधायक मुरारी लाल मीणा को टिकट दे सकती है। पिछले चुनाव में मुरारी लाल की पत्नी बहुत कम मतों के अंतर से चुनाव हार गई थी। लेकिन इस बार हालात बदले-बदले नजर आ रहे है।  कांग्रेस इस बार बीजेपी को कड़ी चुनौती दे सकती है।

सियासी जानकारों का कहना है कि दौसा से टिकट उसी को मिलेगा, जिसे सचिन पायलट पंसद करते है। कांग्रेस की तरफ से सेवानिवृत्त आईएएस प्रभु दयाल मीणा और टीकाराम मीणा भी दावेदारी जता रहे है। टीकाराम मीणा केरल में अहम पदों पर रहे है। ऐसे में माना जा रहा है कि केसी वेणुगोपाल के मार्फत टिकट लाने की कोशिश कर रहे है। जबकि प्रभु दयाल मीणा पूर्व रक्षा सचिव रहे है। कांग्रेस के बड़े नेताओं से अच्छे संपर्क है। सचिन पायलट के समर्थक नरेश मीणा भी दावेदारी जता रहे है। 


दौसा सीट एसटी के लिए रिजर्व है। ऐसे में यहां आमतौर पर मीणा बनान अन्य जातियों के बीच मुकाबला माना जाता रहा है। मीणा-गुर्जर, माली और एससी के मतदता ज्यादा है। गहलोत की वजह से माली समुदाय के वोट कांग्रेस को मिलने लगे है। जबकि गुर्जर वोट कांग्रेस के माने जाते है। मीणा वोट पर बीजेपी सेंध लगाने में सफल रही है। पिछले चुनावों आंक़ड़ों के हिसाब से मीणा वोटर्स पर बीजेपी ने सेंध लगा दी है। जबकि आमतौर पर मीणाओं को कांग्रेस को वोटर माना जाता रहा है। लेकिन हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली है। ब्राह्मण वोटर किसी जमाने में कांग्रेस के थे, लेकिन अब बिखरे हुए है।

दौसा लोकसभा क्षेत्र में आते हैं ये विधानसभा क्षेत्र

दोनों दलों से टिकट पाने के लिए दावेदारों ने एड़ी से चोटी का जोर लगा रखा है। साथ ही संगठन स्तर पर भी रणनीति बनाने में नेता लग गए है। दौसा लोकसभा क्षेत्र में करीब बीस लाख मतदाता हैं। दौसा जिले की दौसा, लालसोट, महुवा, सिकराय व बांदीकुई विधानसभा सीट के अलावा, अलवर की थानागाजी, जयपुर ग्रामीण की बस्सी व चाकूस विधानसभा क्षेत्र भी दौसा लोकसभा क्षेत्र में शामिल है।दौसा की तीन सीटों पर कांग्रेस और 6 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। खास बात यह है कि दौसा जिले इस बार भजनलाल कैबिनेट में कोई भी विधायक नहीं है। जबकि पिछली बार गहलोत सरकार में तीन मंत्री दौसा जिले से बनाए गए थे। इनमें मुरारी लाल मीणा ही जीतने में सफल रहे थे। जबकि परसादी लाल मीणा और ममता भूपेश को हार का सामना करना पड़ा था। फिलहाल दौसा के टिकट फाइन होने के बाद ही सही तस्वीर साफ हो पाएगी। लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि इस बार मुकाबले कांटे का है।

किरोड़ी की भी प्रतिष्ठा दांव पर

दौसा लोकसभा किरोड़ी लाल का भी गढ़ माना जाता है। इस बार उनके भाई को टिकट मिलने की संभावना है। ऐसे में किरोड़ी लाल की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। दौसा लोकसभा सीट पर लगातार तीन बार से कांग्रेस को हार मिली है। इससे पहले यहां कांग्रेस का दबदबा रहा है। यहां से 12 दफा कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। पंडित नवलकिशोर शर्मा, राजेश पायलट, रमा पायलट, सचिन पायलट जैसे दिग्गज नेताओं ने यहां कांग्रेस की सीट को सुरक्षित रखा था। दौसा एसटी के लिए रिजर्व सीट है।  2014 में भाजपा के हरीश मीना तथा 2019 में भाजपा से जसकौर मीना ने दौसा सीट पर जीत दर्ज की।


 



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