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Holika Dahan 2024 Shubh Muhrat Time Puja Vidhi Mantra Know eyerything about holika dahan puja

Holika Dahan Time : फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका दहन करने का विधान है। रविवार को 9.23 के बाद पूर्णिमा तिथि शुरू होकर सोमवार को 11.31 बजे तक रहेगी। रविवार की रात में 10.28 बजे भद्रा के बाद होलिका दहन किया जाएगा। होलिका का पूजन करते हुए …ॐ होलिकायै नमः मन्त्र पढ़ते हुए होलिका दहन करना चाहिए। होलिकोत्सव चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 25 मार्च दिन सोमवार को सर्वत्र होली पर्व मनाया जाएगा, जो की प्रातः काल होलिका के भस्म को मस्तक पर लगाकर आने वाले नूतन सम्वत्सर की मंगल कामना करते हैं। भारतीय सनातन धर्म संस्कृति का यह पर्व अनुपम एवं अद्वितीय है। इस दिन पूरे वर्ष भर के संचित विकार दूर करने के लिए धर्म शास्त्रों ने हास्य-विनोद को शास्त्रीय मान्यता प्रदान की है। यह पर्व परस्पर कटुता को समाप्त कर देता है तथा आपसी प्रेम व सौहार्द को स्थापित करता है। ज्योतिषाचार्य ने लोगों से होलिका दहन में हरे पेड़ को नहीं जलाने का अपील करते हुये कहा कि धर्म शास्त्रों में हरा वृक्ष जलाना निषेध है। इससे पर्यावरण दूषित होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हरे वृक्ष पर बुध ग्रह का स्वामित्व होता है। अतः हरा वृक्ष जलाने से व्यक्ति को रोग व शोक दोनों तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है। अतः हरे वृक्ष की रक्षा करें तथा किसी कीमत पर जलाएं।
होलिका मंत्र- ‘असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिषै:। अतस्तवां पूजायिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।’ का उच्चारण करते हुए तीन परिक्रमा करें। इसी मंत्र के साथ अर्ध्य भी दे सकते हैं। ताम्बे के एक लोटे में जल, माला, रोली, चावल, गंध, फूल, कच्चा सूत, बताशे-गुड़, साबुत हल्दी, गुलाल, नारियल आदि का प्रयोग करना चाहिए। साथ में नई फसल के पके चने की बालियां व गेहूं की बालियां आदि भी सामग्री के रूप में रख लें। इसके बाद होलिका के पास गोबर से बने खिलौने रखें। संभव हो तो बच्चों को लकड़ी के अस्त्र बनवाकर देें, जिससे वे दिन भर उत्साही सैनिक बने रहें और साथियों के संग खेलकूद करते हुए हंसे।
होलिका पूजा-विधि : सर्वप्रथम प्रथम पूज्य गणेश जी का स्मरण कर, जहां पूजा करनी हैं, उस स्थान पर पानी छिड़क कर शुद्ध कर लें। पूजा करते समय पूजा करने वाले व्यक्ति को होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। अग्नि उनके घर से ही मंगानी चाहिए, जहां संतान पैदा हुई हो।
Holika Dahan Time: होलिका दहन का ये है सबसे उत्तम मुहूर्त, इस दिन खेली जाएगी रंगों की होली
होलिका दहन मुहूर्त समय में जल, मौली, फूल, गुलाल तथा ढाल व खिलौनों की कम से कम चार मालाएं अलग से घर से लाकर सुरक्षित रख लेना चाहिए। इनमें से एक माला पितरों की, दूसरी हनुमान जी की, तीसरी शीतला माता की तथा चौथी अपने परिवार के नाम की होती है। कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटना चाहिए। फिर लोटे का शुद्ध जल और पूजन की अन्य सभी वस्तुओं को प्रसन्नचित्त होकर एक-एक करके होलिका को समर्पित करें।
रोली, अक्षत व फूल आदि को भी पूजन में लगातार प्रयोग करें। गंध-पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन किया जाता है। पूजन के बाद जल से अर्ध्य दें। होलिका दहन होने के बाद होलिका में कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग- गेहूं, चना, जौ भी अर्पित करें। होली की पवित्र भस्म को घर में रखें। रात में गुड़ के बने पकवान प्रसाद गणेश जी को भेंट कर खाने चाहिए।