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Madhya Pradesh

Chhindwara Lok Sabha seat : Battle for Kamal Nath to retain Chhindwara stronghold BJP won only once out of 14 Lok Sabha elections

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Chhindwara Lok Sabha seat : Battle for Kamal Nath to retain Chhindwara stronghold BJP won only once out of 14 Lok Sabha elections


मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 1971 से 2019 तक हुए 14 आम चुनावों में से 13 में कांग्रेस का राज रहा है। 1980 से 2019 तक इस सीट पर एक छत्र कमलनाथ परिवार का ही कब्जा रहा है। 1980 से 1991 तक कमलनाथ खुद इस सीट से सांसद चुने गए। 1996 में हुए चुनावों में उनकी पत्नी अल्का कमलनाथ छिंदवाड़ा की सांसद बनीं। 1998 से 2014 तक फिर कमलनाथ यहां के सांसद रहे। 2019 में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ यहां से सांसद बने। इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सामने नाथ परिवार के किले में सेंध लगाने की चुनौती है।

भाजपा सिर्फ एक उपचुनाव जीती: छिंदवाड़ा लोकसभा सीट (Chhindwara Lok Sabha Seat) कांग्रेस की गारंटी वाली सीट मानी जाती है। पिछले 72 वर्षों से यहां कांग्रेस का दबदबा रहा है। सिर्फ एक बार 1997 के उपचुनाव में इस सीट से भाजपा उम्मीदवार चौधरी चंद्रभान सिंह जीते थे। इसके बाद इस सीट पर कांग्रेस को कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा। आपातकाल को लेकर जब देश में कांग्रेस के खिलाफ लहर थी तब भी यहां की जनता ने कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा था।

भाजपा की नजर : वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा सीट पर हार के बाद भाजपा ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को छिंदवाड़ा का प्रभारी बनाया था। इस बार के आम चुनाव में सीट से जीत पक्की करने के लिए भाजपा ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। हालांकि गत वर्ष हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा की कोशिशों का कोई खास असर देखने को नहीं मिला। संसदीय क्षेत्र की सभी सात सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई थी। 2018 में भी कांग्रेस ने सभी सीटें जीती थीं। भाजपा ने छिंदवाड़ा सीट पर नकुलनाथ के सामने इस बार विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा है। बंटी साहू 2019 के विधानसभा उपचुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से 25 हजार वोटों से पराजित हो चुके हैं। इसके बाद फिर 2023 के विधानसभा चुनाव में बंटी को कमलनाथ के सामने उतारा गया., लेकिन भाजपा प्रत्याशी को करीब 37 हजार वोटों से हार का का सामना करना पड़ा था।

भाजपा में जाने की अटकलें : हाल में ही चर्चा चली कि कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। बाद में दोनों नेताओं ने बयान जारी कर इन अटकलों को खारिज कर दिया। छिंदवाड़ा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए नकुलनाथ ने कहा था कि वह और उनके पिता भाजपा में नहीं जा रहे हैं। यह सिर्फ राजनीतिक हवा है जिसका मकसद आगामी लोकसभा चुनाव में फायदा उठाना है। पार्टी छोड़ने की सभी खबरें पूरी तरह अफवाह हैं।

जब भावुक हो गए थे कमलनाथ : हाल ही में छिंदवाड़ा में हुई जनसभा को संबोधित करते हुए कमलनाथ भावुक हो गए थे। उन्होंने कहा था कि अस्सी के दशक में छिंदवाड़ा देश का सबसे पिछड़ा इलाका हुआ करता था। लोग गंतव्य तक पहुंचने के लिए पैदल चलते थे, आज परिवहन के सभी साधन हैं। पहले जरूरत का सारा सामान नागपुर से आता था, आज छिंदवाड़ा में तैयार सामान देश के दूसरों हिस्सों में जाता है। उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा के लिए हमने वो सब कर दिखाया, जो जनता के लिए जरूरी था।

विकास का सिलसिला जारी रहेगा : कमलनाथ ने पिछले विधानसभा चुनाव में कहा था कि इस सीट से मेरा और मेरे परिवार का संबंध चार दशक से भी पुराना है। इन वर्षों में दो पीढ़ियों ने विकास के हर बदलाव को देखा है। जरूरी सुविधाओं का बड़े स्तर पर विकास हुआ है। विकास और बदलाव का ये सिलसिला आगे भी इसी तरह जारी रहेगा। छिंदवाड़ा और यहां की जनता का ख्याल रखना नाथ परिवार की जिम्मेदारी है।

सबसे अमीर सांसद हैं नकुल कमलनाथ

नकुलनाथ कांग्रेस नेता कमलनाथ के बेटे हैं, इनका जन्म 21 जून 1974 को हुआ था। सबसे अमीर सांसद हैं जिनके पास 660 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। इनकी पत्नी के 11 बैंक खातों में 8.60 करोड़ रुपये जमा हैं, दुबई में भी इनके बैंक खाते हैं, पीपीएफ में 29 लाख रुपये का निवेश किया है।

छिंद पेड़ पर पड़ा नाम

छिंदवाड़ा का नाम छिंद पेड़ पर पड़ा क्योंकि यहां पर इसकी अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं। छिंदवाड़ा अर्थव्यवस्था के लिहाज से अहम है और इसकी पहचान रेमंड और हिन्दुस्तान यूनिलिवर की औद्योगिक इकाइयों के लिए होती है। यहां कोयला खनन का काम वेस्टर्न कोल फील्ड करती है। शहर पॉटरी, ज्वैलरी जैसे उद्योगों के लिए भी मशहूर है। देवगढ़ किला यहां की सांस्कृतिक विरासत की बड़ी पहचान है। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र के अंदर 7 विधानसभा सीटें – अमरवाड़ा, जुन्नारदेव, परासिया, छिंदवाड़ा, पांढुर्ना, सौसर, चौरई आती हैं।



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