Haryana
Budget 2024 farmers leader says modi sarkar made a record to Cheat farmers seventh time
Budget 2024: शंभू बॉर्डर पर डटे किसान नेता सरवन सिंह पंधेर का कहना है कि मोदी सरकार ने सातवीं बार किसानों से छल का रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बजट में किसानों की उपेक्षा हुई।
Budget 2024: आज नरेंद्र मोदी सरकार ने तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट सदन के पटल पर रखा। सरकार ने वेतन भोगियों, पेंशन भोगियों, किसान, महिलाओं, युवा, छात्रों समेत कई वर्गों के लिए बड़े ऐलान किए। किसानों के फायदे की बात की जाए तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2024-25 में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की। सीतारमण ने कहा कि अनुसंधान, टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने, तिलहन और दलहन उत्पादन को बढ़ाने और कृषि परिदृश्य में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के लिए एक व्यापक योजना की रूपरेखा तैयार की गई है। हालांकि सरकार द्वारा घोषित बजट से किसान नाखुश हैं। पहले राकेश टिकैत और अब शंभू बॉर्डर पर धरने में बैठे किसानों ने मोदी सरकार के बजट को छलावा बताया है। उनके मुताबिक, बजट में किसानों के लिए एमएसपी गारंटी कानून और कर्ज माफी मिलनी चाहिए थी।
शंभू बार्डर पर धरने में बैठे किसानों को इस बार भी बजट में एमएसपी गारंटी कानून और कर्ज माफी के नाम पर कुछ नहीं मिला। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता सरवन सिंह पंधेर ने इसे निराशावादी बजट बताते हुए कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार सातवीं बार बजट पेश करके एक रिकार्ड बनाया है। वहीं, एक और रिकार्ड भी बना है वो यह है कि मोदी सरकार ने सातवीं बार भी किसानों की उपेक्षा की। यह बजट एक निराशावादी बजट से ज्यादा कुछ नहीं है।
बजट का 3 प्रतिशत भी नहीं मिला
अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो शेयर करते हुए पंधेर ने कहा कि किसानों और मजदूरों की आबादी लगभग 70 प्रतिशत है। 48 लाख करोड़ रुपए का बजट है इसमें से 1.52 लाख करोड़ किसानों को दिया गया है, जो बजट का 3 प्रतिशत भी नहीं है।उन्होंने कहा कि इस बजट में ना तो एमएसपी गारंटी कानून के लिए हिस्सा है, ना किसानों की कर्ज माफी का जिक्र है, मजदूरों को रोजगार देने के लिए कुछ नहीं है। खेती को पूरी तरह से इग्नोर किया गया है। सिर्फ 1.52 लाख करोड़ के बजट में कहा जा रहा है कि कुदरती खेती को भी प्रोत्साहन देंगे, वातावरण के अनुसार बीजों की खोज होगी और ग्रामीण विकास भी होगा जो कि असंभव है।
नौकरी के नाम पर युवाओं से छल
पंधेर ने कहा कि यह बजट नकारात्मक, दिशाहीन है। इसमें खेती के विकास के लिए कोई योजना नहीं है। वहीं, युवाओं को रोजगार की बात पर सरवन सिंह ने कहा कि सरकारी नौकरी तो मिलेगी नहीं और कार्पोरेट सेक्टर कौन सी नौकरी देंगे। यह सब कुछ सिर्फ एक छलावा है।
रिपोर्ट: मोनी देवी