Uttar Pradesh

appointments of new civil judges in up district list prepared through software technology makes work easier

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Appointment of civil judges: इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन ने ऑटोमेटिक डिस्ट्रिक्ट एलोकेशन सॉफ्टवेयर की मदद से 225 नव चयनित सिविल जजों की विभिन्न जिलों में नियुक्ति कर दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहली बार यह काम चुटकियों में कर दिखाया और वह भी बिना किसी मानव (ह्यूमन) हस्तक्षेप के। अधिकारियों-कर्मचारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का काम किसी भी महकमे के लिए काफी पेचीदा कार्य होता है। इस काम में महीनों का वक्त और बड़ी संख्या में श्रम करना पड़ता है। हाईकोर्ट प्रशासन ने मंगलवार को 225 नव चयनित न्यायिक अधिकारियों (सिविल जज) के जिला आवंटन की सूची जारी की। किस अधिकारी को किस जिले में नियुक्ति दी जाएगी, यह कार्य हाईकोर्ट में तैयार विशेष सॉफ्टवेयर से किया गया। इस सॉफ्टवेयर ने पल भर में ही अधिकारियों के जिला आवंटन की सूची तैयार कर दी। कम्प्यूटर से तैयार सूची के मुताबिक नव चयनित अधिकारियों की संबंधित जिलों में नियुक्तियों की अधिसूचना भी जारी कर दी गई। 

ऑफिस ऑटोमेशन के तहत ऑटोमेटिक जिला एलोकेशन सिस्टम का सॉफ्टवेयर हाईकोर्ट ने स्वयं तैयार किया है ताकि अधिकारियों की नियुक्ति के समय जिलों के आवंटन में मानव हस्तक्षेप को समाप्त किया जा सके। इस सॉफ्टवेयर से एक बटन दबाते ही आवंटन सूची तैयार हो गई। पूरी प्रक्रिया कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और वरिष्ठ न्यायमूर्ति व कम्प्यूटर कमेटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र और हाईकोर्ट के महानिबंधक की उपस्थिति में संपन्न की गई। कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने इस कार्य पर संतोष व्यक्त किया है।

आज के लिए नो एडवर्स आर्डर का प्रस्ताव

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कॉजलिस्ट विलंब से आने एवं मुकदमों के सूचीबद्ध होने का एसएमएस न आने के कारण हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने बुधवार के लिए नो एडवर्स आर्डर का प्रस्ताव पास किया है। साथ ही यह प्रस्ताव कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को प्रेषित कर उनसे अधिवक्ताओं और वादकारियों के हित में बुधवार को किसी भी मुकदमे में प्रतिकूल आदेश न पारित करने का निर्देश जारी करने का आग्रह किया है। हाईकोर्ट बार के महासचिव नितिन शर्मा ने बताया कि बुधवार की कॉजलिस्ट विलंब से आने एवं मुकदमों के सूचीबद्ध होने का एसएमएस न आने के कारण वकीलों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही अधिवक्ताओं के नाम व एडवोकेट रोल नंबर से भी कॉजलिस्ट नहीं खुल रही है, जिससे अधिवक्ताओं को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।



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