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राजस्थान में 18 साल की रूप कंवर हो गई थी सती, 37 साल बाद कोर्ट ने सबको छोड़ा

राजस्थान में 37 साल पहले सीकर जिले के दिवराला गांव में हुए रूप कंवर सती कांड में बुधवार को फैसला सुनाया गया। सती प्रथा के महिमामंडन के इस मामले में 8 आरोपियों को बरी कर दिया है।
राजस्थान में 37 साल पहले सीकर जिले के दिवराला गांव में हुए रूप कंवर सती कांड में बुधवार को फैसला सुनाया गया। उल्लेखनीय है कि देश के आखिरी सती कांड में 37 साल बाद फैसला आया है। हिमामंडन करने के 8 आरोपी बरी कर दिए है। 45 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई थी। घटना का महिमा मंडन के मामले में 8 आरोपियों महेन्द्र सिंह, दशरथ सिंह, श्रवण सिंह, निहाल सिंह, जितेन्द्र सिंह, उदय सिंह, लक्ष्मण सिंह और भंवर सिंह को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है।
मामले में वर्ष 2004 में अदालत प्रताप सिंह, राजेन्द्र सिंह राठौड़ और रूप कंवर के भाई गोपाल सिंह राठौड़ सहित 25 लोगों को बरी कर चुकी है। जबकि मूल घटना के बाद गिरफ्तार किए गए 32 लोगों को सीकर की कोर्ट अक्टूबर, 1996 में बरी कर चुकी है।
बचाव पक्ष के वकील अमर सिंह राजावत ने बताया कि जयपुर निवासी रूप कंवर का विवाह दिवराला के माल सिंह के साथ हुआ था। विवाह के करीब सात माह बाद ही माल सिंह की बीमारी से मौत हो गई थी। 4 सितंबर, 1987 को 18 वर्षीय रूप कंवर की माल सिंह की चिता के साथ जलने से मौत हो गई थी। इसके बाद 22 सितंबर, 1988 को समाज के लोगों ने दिवराला से अजीतगढ़ तक जुलूस निकाला, लेकिन बारिश के कारण जुलूस ज्यादा आगे नहीं चल पाया। रात करीब 8 बजे 45 लोगों ने ट्रक में बैठकर जुलूस को फिर से शुरू किया। इसके चलते पुलिस ने इन 45 आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
गिरफ्तारी के महज चार दिन बाद ही पुलिस ने 26 सितंबर को इनके खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था। लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने इनमें से 25 लोगों को साल 2004 में बरी कर दिया था। मामले में 11 सितंबर, 2019 को आरोपी लक्ष्मण सिंह ने अदालत में समर्पण किया था। इन 45 लोगों में से करीब आधा दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है और इतने ही फरार चल रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि चार सितंबर 1987 को सीकर जिले के दिवराला गांव में अपने पति की मौत के बाद उसकी चिता पर जलकर 18 साल की रूप कंवर सती हो गई थी। दिसंबर 1829 में ब्रिटिश सरकार द्वारा इस प्रथा को प्रतिबंधित किए जाने के 158 साल बाद पूरी दुनिया का ध्यान सती होने की इस घटना ने खींचा था। 4 सितंबर 1987 को हुई इस घटना में 32 लोगों को गिरफ्तार किया था जो सीकर कोर्ट से अक्टूबर 1996 में बरी हो गए थे।