Rajasthan

बूंदी नरेश की 600 साल पुरानी छतरी तोड़ने पर विवाद, ‘देवता’ के रूप में पूजता था राजपूत समाज

Published

on


Share

हमें फॉलो करें

राजस्थान के कोटा-बूंदी जिले की सीमा पर स्थित बूंदी राजवंश के 600 साल पुरानी छतरी को तोड़ने पर विवाद हो गया है। ग्रामीणों ने दावा किया कि यह राजपूत समुदाय के लिए पूजनीय स्थल था। केंद्रीय मंत्री ने मामले की जांच की मांग की है।

Subodh Kumar Mishra पीटीआई, बूंदीSun, 22 Sep 2024 04:11 AM
Share

राजस्थान के कोटा-बूंदी जिले की सीमा पर स्थित बूंदी राजवंश के 600 साल पुरानी छतरी को तोड़ने पर विवाद हो गया है। ग्रामीणों ने दावा किया कि यह राजपूत समुदाय के लिए पूजनीय स्थल था। केंद्रीय मंत्री ने मामले की जांच की मांग की है।

कोटा विकास प्राधिकरण द्वारा पूर्व बूंदी राजवंश के राव सूरजमल हाड़ा की 600 साल पुरानी छतरी को ध्वस्त करने से विवाद पैदा हो गया है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मामले की जांच की मांग की है। ग्रामीणों ने दावा किया कि यह राजपूत समुदाय के लिए पूजनीय स्थल है। कोटा हवाई अड्डे के विस्तार के लिए शुक्रवार को की गई तोड़फोड़ के बारे में उन्हें पहले से जानकारी नहीं दी गई।

केंद्रीय पर्यटन मंत्री शेखावत ने कोटा-बूंदी जिले की सीमा पर तुलसी गांव में स्थित ऐतिहासिक संरचना को ध्वस्त करने की निंदा की। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “बूंदी नरेश राव सूरजमल हाड़ा जी की छतरी को ध्वस्त करना एक दुखद और व्यथित करने वाली घटना है। क्या केडीए ने छतरी के ऐतिहासिक महत्व को जानते हुए भी यह कृत्य किया? इस संबंध में जांच और उचित कार्रवाई आवश्यक है।” शेखावत ने कहा कि जनभावना को सर्वोच्च रखना प्रशासन की नैतिक जिम्मेदारी है।

राजपूत समुदाय के स्थानीय सदस्य भरत सिंह के अनुसार, कोटा विकास प्राधिकरण की टीम ने छतरी को ध्वस्त कर दिया, जो स्थानीय लोगों के लिए एक “पवित्र” स्थान था और हर रविवार को उस स्थान पर मेला लगता था।

उन्होंने कहा, “रियासत काल की छतरी, जिसे मंदिर के रूप में पूजा जाता था, को ध्वस्त कर दिया गया। यह निजी भूमि पर थी। ग्रामीण छतरी के नीचे स्थित राव सूरजमल हाड़ा की मूर्ति को 600 वर्षों से अपने देवता के रूप में पूजते आ रहे थे।” उन्होंने कहा कि राजपूत समुदाय का मानना ​​है कि ऐतिहासिक छतरी को ध्वस्त करने के बजाय उसे स्थानांतरित किया जाना चाहिए था। राजपूत समुदाय के लोग इसके विरोध में रैली निकालेंगे।

इस संबंध में कोटा कलेक्टर रवींद्र गोस्वामी से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं किया जा सका। वहीं, मामले में बढ़ते विवाद को देखते हुए कोटा विकास प्राधिकरण ने अपने तीन कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version