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राजस्थान में रेजिडेंट डॉक्टरों ने खत्म की हड़ताल, HC ने शिकायत सुनने के लिए बनाई कमेटी

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राजस्थान में रेजिडेंट डॉक्टरों ने खत्म की हड़ताल, HC ने शिकायत सुनने के लिए बनाई कमेटी


राजस्थान में रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल बुधवार शाम को समाप्त कर दी। डॉक्टरों के संगठन की ओर से जारी बयान में कहा कि डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले और जनहित को ध्यान में रखते हुए खत्म की है।

Krishna Bihari Singh भाषा, जयपुरWed, 23 Oct 2024 07:16 PM
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राजस्थान में रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल बुधवार शाम को समाप्त करने की घोषणा की। ये डॉक्टर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर शनिवार रात से हड़ताल पर थे। जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (जार्ड) की ओर से जारी बयान में यह जानकारी दी गई। जार्ड के अध्यक्ष मनोहर सियोल ने बयान में कहा कि डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले और जनहित को ध्यान में रखते हुए खत्म की है।

दरअसल, राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ ने बुधवार को हड़ताल का स्वत: संज्ञान लिया। अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा। इसके बाद मामले की सुनवाई दोपहर दो बजे के लिए निर्धारित की गई। उस समय तक पीठ को सूचित किया गया कि राज्य सरकार और रेजिडेंट डॉक्टरों के बीच समझौता हो गया है। डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली है।

हालांकि पीठ ने रेजिडेंट डॉक्टरों की शिकायत सुनने के लिए प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) की अध्यक्षता में एक समिति गठित की और मामले में अधिवक्ता स्वदीप सिंह होरा को न्यायमित्र नियुक्त किया। मामले की सुनवाई 21 नवंबर को होगी, जब अदालत इस मामले पर फिर से विचार करेगी।

जार्ड के अध्यक्ष सियोल ने बयान में कहा कि अदालत ने रेजिडेंट डॉक्टरों की समस्याओं को समझा और प्रशासन से इस पर संज्ञान लेने को कहा, ताकि उनकी मांगों का शीघ्र और प्रभावी समाधान किया जा सके। कोलकाता में एक महिला डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टर इस साल अगस्त में हड़ताल पर चले गए थे।

हालांकि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा मांगों पर विचार करने के लिए एक समिति गठित किए जाने के बाद उन्होंने काम फिर से शुरू कर दिया था। बाद में प्रशासन की निष्क्रियता के कारण, उन्होंने 19 अक्टूबर की शाम को हड़ताल फिर से शुरू कर दी। राज्य के लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी और इमरजेंसी सेवाओं, ऑपरेशन थिएटर और लेबर रूम में सेवाओं का बहिष्कार किया गया।



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