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जिन 7 सीटों पर हो रहा उपचुनाव, जानिए वहां क्या है लेखा-जोखा, राजस्थान न्यूज़

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बीजेपी भले ही यह कहें कि उसके पास खोने से लिए कुछ नहीं है, लेकिन उप चुनाव में सरकार की सांख दांव पर लगी है। 7 विधानसभा सीटों में बीजेपी की एकमात्र सीट सलूंबर है। जहां से अमृत लाल मीणा का निधन हुआ था।

राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव पर सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर है। बीजेपी भले ही यह कहें कि उसके पास खोने से लिए कुछ नहीं है, लेकिन उप चुनाव में सरकार की सांख दांव पर लगी है। 7 विधानसभा सीटों में बीजेपी की एकमात्र सीट सलूंबर है। जहां से अमृत लाल मीणा का निधन हुआ था। बाकि 6 सीटें कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की है। ऐसे में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल राठौड़ का कहना है कि बीजेपी के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है।

यह है सीटवार गणित और दावेदार

खींवसर : 2023 के चुनाव में खींवसर विधानसभा सीट वैसे तो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के खाते में गई थी। यहां से आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल विधायक बन कर विधानसभा पहुंचे थे। बेनीवाल का मुकाबला विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तक अपने ही करीबी रहे रेवंतराम डांगा से था। डांगा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हनुमान का साथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए और बेनीवाल को कड़ी टक्कर दी। दोनों के बीच हार-जीत का करीब 2 हजार वोट का ही अंतर रहा। अब इस सीट पर आरएलपी पूर्व में विधायक रहे हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल पर ही दांव खेल सकती है, जबकि बीजेपी रेवंतराम डांगा पर ही दांव खेल सकती है। डांगा के साथ पूर्व सांसद सीआर चौधरी और ज्योति मिर्धा भी दावेदार माने जा रहे हैं, जबकि कांग्रेस हरेंद्र मिर्धा के बेटे रघुवेन्द्र मिर्धा और बिंदु चौधरी में से एक को उम्मीदवार बना सकती है।

झुंझुनू : जाट बाहुल्य झुंझुनू विधानसभा सीट वैसे तो कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है, लेकिन इस बार बीजेपी हरियाणा चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले जाट नेता और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया पर भी दांव खेल सकती है। माना जा रहा है कि हरियाणा चुनाव के बाद में केंद्रीय नेतृत्व की नजर में सतीश पूनिया का कद काफी बढ़ गया है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस के गढ़ को ढहाने के लिए सतीश पूनिया को चुनाव मैदान में उतार सकती है। बीजेपी की तरफ से राजेंद्र भामू भी मजबूत कैंडिडेट के रूप में देखे जा रहे हैं। राजेंद्र भामू 2018 में भाजपा के प्रत्याशी थे। 2023 में उन्हें टिकट नहीं मिला। उनकी जगह बबलू चौधरी को टिकट दिया गया। हालांकि, झुंझुनूं विधानसभा सीट पर कांग्रेस के मजबूत दावेदार की बात करें तो बृजेन्द्र ओला की पत्नी राजबाला, बेटे अमित ओला और बहु आकांक्षा ओला का नाम माना जा रहा है।

दौसा : दौसा विधानसभा सीट वैसे तो बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शामिल कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा का गढ़ माना जाता है, लेकिन बीते दो चुनाव 2018 और 23 से कांग्रेस ने अपना कब्जा जमाया हुआ है। बीजेपी के सियासी समीकरण के हिसाब से देखें तो बीजेपी वहां से ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेलती आ रही है, लेकिन माना जा रहा है कि इस बार बीजेपी कुछ बदलाव कर सकती है।

यहां पर किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को बीजेपी मैदान में उतार सकती है। इसके साथ बीजेपी ब्राह्मण और एससी चेहरे पर भी दांव खेलने की तैयारी में है, जिसमें ब्राह्मण चेहरे के रूप में रतन तिवारी को भी मजबूत दावेदार माना जा रहा है। तिवारी संगठन के मजबूत नेताओं में माने जाते हैं. वहीं, पूर्व विधायक शंकर लाल शर्मा का भी नाम चर्चाओं में है। एससी फैक्टर के हिसाब से देखें तो नंदलाल बंशीवाल को भी पार्टी चुनाव मैदान में उतारने पर विचार कर रही है। कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस पूर्व मंत्री और सांसद मुरारी लाल मीणा की पत्नी सविता मीणा या बेटी निहारिका मीणा को मैदान में उतार सकती है। इसके अलावा राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व महासचिव नरेश मीणा और पूर्व विधायक जीआर खटाणा की मजबूत दावेदारी मानी जा रही है।

देवली-उनियारा : ये विधानसभा सीट वैसे तो हमेशा परिवर्तित सीटों में से रही है। हालांकि, पिछले दो चुनाव से कांग्रेस के हरीश मीणा यहां से लगातार विधायक बनते आ रहे हैं। उससे पहले बीजेपी के प्रत्याशी राजेंद्र गुर्जर विधायक रहे हैं। बीजेपी ने 2023 के चुनाव में राजेंद्र गुर्जर का टिकट काटकर गुर्जर आंदोलन के अगवा रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी इस बार किसी ऐसे चेहरे पर दांव खेलना चाह रही है, जिससे गुर्जर और मीणा समीकरण का तोड़ निकाला जा सके। माना जा रहा है कि बीजेपी पूर्व में इसी सीट से विधायक और कैबिनेट मंत्री रहे प्रभु लाल सैनी को मैदान में उतार सकती है।

पार्टी पूर्व में विधायक रहे राजेंद्र गुर्जर को लेकर भी गंभीरता से विचार कर रही है। हालांकि, सीट पर पूर्व सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया भी दावेदारी जता रहे हैं। महिला चेहरे के हिसाब से देखें तो राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर का नाम भी दावेदारी के रूप में सामने है। कांग्रेस के लिहाज से पूर्व केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक धीरज गुर्जर का नाम भी दावेदारों में है।

चौरासी : आदिवासी बाहुल्य सीटों में शामिल चौरासी विधानसभा सीट वैसे तो भारत आदिवासी पार्टी की मजबूत सीट मानी जाती है। यहां पर पिछले दो चुनाव से लगातार भारत आदिवासी पार्टी के नेता राजकुमार रोत जीतते आ रहे हैं। बीएपी इस बार यहां पोपट खोखरिया को टिकट दे सकती है। इसके अलावा बीएपी से जुड़े अनिल और दिनेश को भी मौका मिल सकता है। इसके अलावा 2 बार से हार रही बीजेपी और कांग्रेस इस सीट को फिर से अपने कब्जे में लेने का प्रयास कर रहे हैं।

हालाकि, इस सीट पर कांग्रेस बीएपी के साथ गठबंधन की संभावना बन रही है। गठबंधन की स्थिति में ये सीट बीएपी अपने पास ही रखने का प्रयास करेगी। गठबंधन नहीं होने पर कांग्रेस यहां से पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा को फिर से मैदान में उतार सकती है। इसके अलावा भगोरा के परिवार से ही रूपचंद भगोरा या निमिषा भगोरा को भी मौका मिल सकता है। बीजेपी से पूर्व मंत्री सुशील कटारा के साथ सीमलवाड़ा के पूर्व प्रधान नानूराम परमार या चिखली क्षेत्र से पूर्व प्रधान महेंद्र बरजोड़ को टिकिट दे सकती है।

सलूंबर : यह विधानसभा सीट से विधायक अमृत लाल मीणा के निधन के बाद खाली हुई है। यह सीट बीजेपी के लिहाज से मजबूत मानी जा सकती है। इस सीट पर बीजेपी अमृत लाल मीणा के परिवार के सदस्य को उम्मीदवार बना सकती है। इसके साथ अविनाश मीणा की दावेदारी मानी जा रही है। कांग्रेस की बात करें तो 4 बार विधायक रह चुके रघुवीर मीणा या उनकी पत्नी बसंती मीणा पर कांग्रेस दांव खेल सकती है।

रामगढ़ : यह विधानसभा सीट कांग्रेस विधायक जुबेर खान के निधन के बाद खाली हुई। यह सीट कांग्रेस के लिहाज से मजबूत मानी जा रही है। कांग्रेस इस सीट पर जुबेर खान की पत्नी और पूर्व विधायक साफिया जुबेर खान को प्रत्याशी बना सकती है। इसके साथ ही खान के बेटे आर्यन जुबेर खान को भी दावेदार माना रहा है, जबकि बीजेपी से सुखवंत सिंह, पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा, जय आहूजा और पूर्व विधायक बनवारी लाल सिंघल दावेदार माने जा रहे हैं।



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