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मुंबई हमले के मास्टरमाइंड राणा के खिलाफ सरकारी वकील नियुक्त , वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र मान को मिली जिम्मेदारी…

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नई दिल्ली — 26/11 मुंबई हमले से जुड़े मामलों में केंद्र सरकार ने एक अहम निर्णय लेते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र मान को विशेष लोक अभियोजक (Special Public Prosecutor) नियुक्त किया है। इस नियुक्ति के तहत नरेंद्र मान अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की ओर से दिल्ली में स्थित एनआईए की विशेष अदालतों और अपीलीय अदालतों में मामलों की पैरवी करेंगे।

सरकार ने इस संबंध में एक आधिकारिक गजट नोटिफिकेशन जारी किया है। नरेंद्र मान की नियुक्ति 10 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगी और तीन साल की अवधि तक मान्य रहेगी। हालांकि, यदि ट्रायल अवधि से पहले समाप्त हो जाता है, तो उनकी नियुक्ति स्वतः ही समाप्त मानी जाएगी।

यह नियुक्ति भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 18 (8) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 की धारा 15 (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए की गई है।

26/11 हमले की गंभीरता के मद्देनज़र अहम फैसला

गौरतलब है कि 26/11 मुंबई हमला भारत के इतिहास के सबसे भीषण आतंकी हमलों में शामिल है। नवंबर 2008 में, 10 आतंकवादियों ने मुंबई के प्रतिष्ठित स्थानों पर हमला कर 166 लोगों की जान ले ली थी, जबकि सैकड़ों घायल हुए थे। इस हमले ने देश ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया था।

एनआईए इस मामले की जांच कर रही है, और अब नरेंद्र मान जैसे अनुभवी अधिवक्ता की नियुक्ति से मामले में न्यायिक प्रक्रिया को और बल मिलेगा। नरेंद्र मान न केवल इस केस में, बल्कि इससे जुड़े अन्य मुकदमों में भी एनआईए का पक्ष मजबूती से पेश करेंगे।

आतंकवाद के खिलाफ सरकार की सख्त नीति का संकेत

सरकार का यह निर्णय आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्त नीति और न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। गजट नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया है कि नरेंद्र मान की भूमिका केवल दिल्ली स्थित एनआईए विशेष अदालतों और अपीलीय अदालतों तक सीमित रहेगी।

मुंबई हमले के मास्टरमाइंड राणा के खिलाफ कई संगीन आरोप

मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा पर कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिनमें आपराधिक साजिश, भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना, हत्या, जालसाजी, और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम शामिल हैं। नरेंद्र मान की नियुक्ति से यह उम्मीद की जा रही है कि अभियोजन पक्ष अदालत में मजबूत और ठोस तरीके से अपनी दलीलें पेश करेगा।

 

 





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