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दिल्ली के पीतमपुरा में याद किए गए शहीद पुलिसकर्मी, क्यों 21 अक्टूबर को मनाते हैं राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस

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दिल्ली के पीतमपुरा में याद किए गए शहीद पुलिसकर्मी, क्यों 21 अक्टूबर को मनाते हैं राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस


राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस को मनाते हुए शहीद पुलिस कर्मियों को याद करते हुए लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। सोमवार को आरयू ब्लॉक पीतमपुरा की आरडब्ल्यूए ने कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें मौर्य एन्क्लेव पुलिस थाना के एसएचओ मदन लाल मीना और अन्य पुलिसकर्मी शामिल हुए।

राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस को मनाते हुए शहीद पुलिस कर्मियों को याद करते हुए लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। सोमवार को आरयू ब्लॉक पीतमपुरा की आरडब्ल्यूए ने कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें मौर्य एन्क्लेव पुलिस थाना के एसएचओ मदन लाल मीना और अन्य पुलिसकर्मी शामिल हुए।

कार्यक्रम में पीतमपुरा के पार्षद अमित नागपाल, आरयू ब्लॉक आरडब्ल्यूए के प्रधान धीरज मिश्रा, उप प्रधान अधिवक्ता सुनिल चौधरी, आरडब्ल्यूए के सदस्य ईश्वर सिंह, इंद्रजीत सिंह, प्रवीण गुप्ता, गौरव अग्निहोत्री, सौरभ भुटानी , ऋचा श्रीवास्तव, रितेश टंडन, अमित गुलाटी, नरेश गर्ग, दिनेश अग्रवाल और एसयू ब्लॉक आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधि विकास बंसल उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के दौरान एसएचओ मदन लाल मीना ने कहा कि लोगों की तरफ से आयोजित ऐसे समारोह पुलिस को प्रेरित करते हैं। शहीदी दिवस के बारे में लोगों को जानकारी नहीं होती है। लेकिन सोमपार को आरडब्ल्यूए द्वारा आयोजित कार्यक्रम ने दिल्ली पुलिस का दिल जीत लिया है। ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिए। इससे हमें भी यह पता चलता है कि आम जनता को पुलिस के बलिदान और शाहदत के बारे में जानकारी रहती है। साथ ही उन्होंने कहा कि अपराध की ओर जाने वाली युवा पीढ़ी को रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसमें युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। इसमें ऐसे युवाओं को प्रशिक्षित करते हुए रोजगार दिलवाने कार्य कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त क्षेत्र में विभिन्न आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए कई काम करेंगे। साथ ही एसएचओ ने समारोह में महिलाओं को चैन स्नैचर से बचाव को लेकर भी जागरूक रहने के लिए कहा।

इसलिए मनाया जाता है दिवस

देश में हर साल 21 अक्टूबर को राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन पहली बार वर्ष 1960 में मनाये जाने का फैसला किया गया था। जिसके बाद हर साल यह दिन मनाया जाता है और हमारे देश की सीमा की सुरक्षा करते हुए शहीद हुए पुलिस वालों की शहादत को याद किया जाता है और उन्हें मान सम्मान दिया जाता है। तिब्बत में चीन के साथ भारत की 2500 मील लंबी सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत के पुलिसकर्मियों की तीन बटालियन को सौंपी गई थी।

पहले दो बटालियन ने अपनी गश्त पूरी कर ली थी और वापस आ गए थे। लेकिन तीसरी बटालियन गश्त से वापस नहीं लौटी। उत्तर-पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स इलाके में तैनात इन पुलिस कर्मियों की टुकड़ी पर चीनी सेना ने घात लगाकर हमला कर दिया था। इसमें हमारे दस जवान शहीद हो गए और सात जवान घायल हो गए। इस घटना के 23 दिनों बाद 13 नवंबर 1959 को चीनी सेना ने उन जवानों के शव भारत को वापस किए। जिसमें मरणोपरांत करम सिंह को वीरता के लिए अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।

पुलिस कर्मियों के बलिदान और देश के लिए किए गए योगदान को देखते हुए जनवरी 1960 में पुलिस महानिरीक्षकों के वार्षिक सम्मेलन में 21 अक्टूबर को हर साल पुलिस दिवस के रूप में मनाए जाने का निर्णय लिया गया। इस दिन को पुलिस बल के साथ राज्य पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा बल और अर्धसैनिक बल इस दिन को एक साथ मिलकर मनाते हैं।



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