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दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर PMO में हुआ हाई लेवल मंथन, पराली से लेकर EV तक सब पर हुई बात

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प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने सर्दियों के महीनों के दौरान खराब होती वायु गुणवत्ता को कम करने के लिए सभी संबंधित एजेंसियों द्वारा ग्रैप के सख्त और समय पर कार्यान्वयन के महत्वपूर्ण महत्व पर जोर दिया।

सर्दियों में हर साल दिल्ली-एनसीआर में होने वाले वायु प्रदूषण को लेकर अब प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने भी गंभीर रुख दिखाया है। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा की अध्यक्षता में सोमवार को हुई एक हाई लेवल टास्क फोर्स की मीटिंग में वायु प्रदूषण से निपटने के विभिन्न उपायों पर गहन चर्चा की गई। इस दौरान एनसीआर में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने और चार्जिंग बुनियादी ढांचे को विकसित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया। वहीं, धान की पराली जलाने से रोकने के कदमों पर भी मंथन हुआ।

इस बैठक में सर्दियों के मौसम में दिल्ली-एनसीआर में खराब होती वायु गुणवत्ता के मुद्दे को संबोधित करने में हितधारकों की तत्परता का आकलन किया गया। इसके साथ ही धान की पराली जलाने, वाहनों से निकलने वाले धुएं, सड़क और निर्माण धूल, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और डीजल जनरेटर (डीजी) सेट सहित विभिन्न स्रोतों से प्रदूषण से निपटने के लिए चल रहे प्रयासों का मूल्यांकन करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

डॉ. मिश्रा ने सर्दियों के महीनों के दौरान खराब होती वायु गुणवत्ता को कम करने के लिए सभी संबंधित एजेंसियों द्वारा ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के सख्त और समय पर कार्यान्वयन के महत्वपूर्ण महत्व पर जोर दिया। ग्रैप, सर्दियों के दौरान लागू किया जाने वाला प्रदूषण-रोधी उपाय है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने आगामी धान की पराली उत्पादन पर विवरण पेश की, जिसमें पंजाब में 19.52 मिलियन टन और हरियाणा में 8.10 मिलियन टन पराली जलाने का अनुमान लगाया गया।

वर्मा ने कहा कि दोनों राज्यों ने इस वर्ष पराली जलाना बंद करने की प्रतिबद्धता जताई है। पंजाब ने अपने 11.5 मिलियन टन धान की पराली को इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन के माध्यम से और शेष को एक्स-सीटू विधियों के माध्यम से प्रबंधित करने की योजना बनाई है। इसी तरह हरियाणा 3.3 मिलियन टन का इन-सीटू प्रबंधन करेगा और शेष के लिए एक्स-सीटू विधियों का उपयोग करेगा।

उन्होंने कहा कि पंजाब में 1.50 लाख से अधिक फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनें उपलब्ध होंगी, जिन्हें 24,736 कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) द्वारा समर्थित किया जाएगा, जबकि हरियाणा में 6,794 सीएचसी द्वारा समर्थित 90,945 सीआरएम मशीनें हैं।

इसके अलावा, एनसीआर क्षेत्र में 11 थर्मल पावर प्लांट में 2 मिलियन टन धान की पराली को जलाया जाएगा। बैठक में थर्मल प्लांटों की नियमित निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया गया, ताकि इस लक्ष्यों को पूरा किया जा सके, तथा गैर-अनुपालन के लिए दंड लगाया जा सके।

इसके साथ ही उन्होंने एनसीआर क्षेत्र के राज्यों के मुख्य सचिवों से क्षेत्र में अपनी ई-बस सेवाओं को बढ़ाने का भी अनुरोध किया। पीएम ई-बस सेवा योजना का लक्ष्य हमारे देश में ई-बसों की संख्या में 10,000 की वृद्धि करना है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को ई-बसों के अपने बेड़े को बढ़ाने के लिए इस योजना का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करना चाहिए।

उन्होंने ‘एक पेड़ मां के नाम’ कार्यक्रम के महत्व और प्रत्येक व्यक्ति के लिए इसके भावनात्मक मूल्य पर भी जोर दिया, जिसका उपयोग शहर को हरा-भरा बनाने में किया जाना चाहिए।

मिश्रा ने राज्य सरकारों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से पटाखों पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने का भी आग्रह किया। जबकि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय से बायोमास के संग्रह में तेजी लाने और संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्रों के निर्माण में तेजी लाने को कहा।  

ग्रैप को सख्ती से और समय पर लागू करने का आह्वान

भाषा के अनुसार, बैठक में कैबिनेट सचिव, दिल्ली पुलिस प्रमुख के अलावा पर्यावरण, कृषि, ऊर्जा, पेट्रोलियम, सड़क परिवहन, आवास और पशुपालन जैसे विभिन्न मंत्रालयों के प्रमुख प्रतिनिधियों सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों और पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के मुख्य सचिवों ने भी हिस्सा लिया। 



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