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ED के रडार पर नोएडा के कई और अफसर, पुरानी फाइलें भी खुलेंगी; मोहिंदर सिंह से कनेक्शन की होगी जांच?

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नोएडा में हैसिंडा की लोटस-300 परियोजना में करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े को लेकर चल रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारी भी आ सकते हैं।

नोएडा में हैसिंडा की लोटस-300 परियोजना में करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े को लेकर चल रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारी भी आ सकते हैं। नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन और सीईओ मोहिंदर सिंह के जरिये ईडी संबंधित अधिकारियों तक पहुंच सकती है। इस मामले में ईडी ने प्राधिकरण के अधिकारियों से संपर्क किया है।

इस परियोजना में 330 फ्लैट बनाने के लिए निवेशकों से 636 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। लोगों को फ्लैट देने के बजाय इसकी जमीन का कुछ हिस्सा अन्य बिल्डर को बेच दिया गया। निवेशकों से लिए पैसे दूसरी जगह लगा दिए। इस मामले में निवेशकों ने आर्थिक अपराध शाखा में मामला दर्ज कराया था। इसके बाद ईडी ने जांच शुरू की। ईडी की जांच में प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन और सीईओ मोहिंदर सिंह पर शिकंजा कस चुका है।

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सूत्रों के अनुसार, पूछताछ में मोहिंदर सिंह ने मामले में वर्ष 2011 के आसपास प्राधिकरण में तैनात रहे अन्य अधिकारियों की भूमिका के बारे में बताया है। ऐसे में इस परियोजना के आवंटन और इसके निर्माण के समय में तैनात रहे एसीईओ, डीसीईओ, ओएसडी आदि भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ईडी के अधिकारी परियोजना से जुड़े दस्तावेज लेने के लिए जल्द प्राधिकरण के दफ्तर आ सकते हैं।

मोहिंदर सिंह के कार्यकाल की फाइलें खुलेंगी

मोहिंदर सिंह के कार्यकाल में जमीन पाए बिल्डरों की फाइलें खुलेंगी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मोहिंदर सिंह के नोएडा प्राधिकरण में रहते हुए जिन बिल्डरों को जमीन दी गई और इनमें से जिन मामलों की जांच आर्थिक अपराध शाखा स्तर पर चल रही है, उन सभी फाइलों को ईडी अपने स्तर पर जांच कर सकती है। आशंका है कि हैसिंडा की तरह कुछ और बिल्डर परियोजनाओं में मोहिंदर सिंह की भागीदारी हो।

क्या है पूरा मामला

भाषा के अनुसार, गौरतलब है कि ईडी ने घर खरीदारों के धन के कथित हेरफेर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंंग मामले में नोएडा प्राधिकरण के रिटायर्ड सीईओ मोहिंदर सिंह और बिल्डरों से जुड़े कई ठिकानों पर छापे मारकर 42 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की नकदी, सोना और हीरे के आभूषण जब्त किए हैं।

ईडी ने हैसिंडा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, इसके प्रवर्तकों व निदेशकों और संबंधित संस्थाओं द्वारा की गई कथित धोखाधड़ी की जांच के सिलसिले में 17-18 सितंबर को दिल्ली, नोएडा और उत्तर प्रदेश के मेरठ के साथ-साथ चंडीगढ़ और गोवा में स्थित परिसरों पर छापे मारे थे। प्रवर्तन निदेशालय ने एक बयान में कहा कि नोएडा में ‘लोटस 300 प्रोजेक्ट्स’ के घर खरीदारों के साथ 426 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई।

कंपनी, इसके प्रवर्तकों और संबंधित संस्थाओं जैसे एचपीपीएल, क्लाउड 9 प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, सुरप्रीत सिंह सूरी, विदुर भारद्वाज, निर्मल सिंह, आदित्य गुप्ता, आशीष गुप्ता और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह के कार्यालय और आवासीय परिसरों पर छापे मारे गए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रवर्तन निदेशालय ने ‘‘निवेशकों और मकान खरीदारों की गाढ़ी कमाई को हड़पने और अंततः उन्हें वाद के अनुसार फ्लैट नहीं देने’’ के आरोप में हैसिंडा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।

छापे में क्या-क्या हुआ बरामद

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने इस मामले में शुरुआती एफआईआर दर्ज की थी। ईडी ने कहा कि छापेमारी के दौरान 42.56 करोड़ रुपये की नकदी और आभूषण जब्त किए गए। इसमें 85 लाख रुपये की ‘बेहिसाब’ नकदी, 29.35 करोड़ रुपये के सोने और हीरे के आभूषण, 5.26 करोड़ रुपये का एक सॉलिटेयर हीरा, 7.1 करोड़ रुपये के हीरे के आभूषण और करोड़ों रुपये की संपत्ति के दस्तावेज शामिल हैं।



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