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संसद में पेश हुआ नया इनकम टैक्स बिल , वित्त मंत्री ने 60 साल पुरानी आयकर व्यवस्था को किया समाप्त…..

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दिल्ली :  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 14 फरवरी 2025 को लोकसभा (Lok Sabha) में नया इनकम टैक्स बिल (New Income Tax Bill 2025) पेश किया। इस बिल को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 फरवरी 2025 को मंजूरी दी थी। यह नया विधेयक लगभग 60 साल पुराने इनकम टैक्स एक्ट को प्रतिस्थापित करेगा और भारतीय टैक्स प्रणाली को सरल, पारदर्शी और अधिक प्रभावी बनाने का लक्ष्य रखता है।

नए इनकम टैक्स बिल में प्रस्तावित सुधार:

  • ‘टैक्स ईयर’ का इस्तेमाल: नए बिल में ‘असेसमेंट ईयर’ की जगह ‘टैक्स ईयर’ शब्द का इस्तेमाल होगा। यह 1 अप्रैल से 31 मार्च तक की 12 महीने की अवधि होगी।
  • नए बिजनेस के लिए टैक्स ईयर: नए व्यवसायों के लिए टैक्स ईयर उसी दिन से शुरू होगा जब वे काम शुरू करेंगे, और वह वित्तीय वर्ष के अंत में खत्म होगा।
  • सुधारी गई कानूनी भाषा: नए बिल में कानूनी शब्दों को सरल और छोटा किया गया है, जिससे इसे समझना आसान होगा।
  • कानूनी दस्तावेजों की संख्या में कमी: पुराने 823 पन्नों के मुकाबले नया बिल 622 पन्नों में तैयार किया गया है।
  • चैप्टर्स और सेक्शन्स का विस्तार: बिल में चैप्टर्स की संख्या 23 से बढ़कर 298 से 536 सेक्शन्स हो गई है।
  • शेड्यूल्स में वृद्धि: शेड्यूल्स की संख्या 14 से बढ़कर 16 हो गई है।
  • जटिल प्रावधानों का हटना: पुराने कानून के जटिल प्रावधानों को हटा दिया गया है, जिससे इसे समझना आसान हो गया है।
  • वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर कड़े नियम: क्रिप्टोकरेंसी जैसे वर्चुअल डिजिटल एसेट्स को अब अनडिस्क्लोज्ड इनकम के तहत माना जाएगा।
  • टैक्स चोरी रोकने के उपाय: डिजिटल ट्रांजैक्शन और क्रिप्टो एसेट्स पर कड़े प्रावधान लगाए गए हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और टैक्स चोरी रोकी जा सकेगी।
  • टैक्सपेयर्स चार्टर: इस नए बिल में टैक्सपेयर्स के अधिकारों की रक्षा करने वाला चार्टर शामिल किया गया है।

क्यों लाया गया नया इनकम टैक्स बिल?

वर्तमान आयकर अधिनियम कई दशकों पुराना होने के कारण जटिल और बोझिल हो गया था। इसका समायोजन और अनुपालन आधुनिक डिजिटल अर्थव्यवस्था से मेल नहीं खाता था। इसलिए, नए बिल का उद्देश्य टैक्स प्रणाली को सरल बनाना और करदाताओं को राहत देना है।

नए टैक्स स्लैब की घोषणा:

वित्त मंत्री ने 2025 के बजट में नए टैक्स स्लैब की घोषणा की है, जो इस प्रकार हैं:

  • 0 – 4 लाख: कोई टैक्स नहीं
  • 4 – 8 लाख: 5%
  • 8 – 12 लाख: 10%
  • 12 – 16 लाख: 15%
  • 16 – 20 लाख: 20%
  • 20 – 24 लाख: 25%
  • 24 लाख से अधिक: 30%

पुराने कानून में दिक्कतें:

  1. जटिल टैक्स नियमों को समझना कठिन था।
  2. टैक्स रिटर्न भरने में बढ़ी हुई प्रशासनिक परेशानी होती थी।
  3. टैक्स विवादों का निपटारा धीमा था।
  4. डिजिटल अर्थव्यवस्था से संबंधित उचित प्रावधानों का अभाव था।

नए कानून से आम आदमी को क्या लाभ होगा?

  • मध्यम वर्ग को राहत: 12 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, जिससे मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी।
  • सरल टैक्स रिटर्न फाइलिंग: टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया सरल होगी, और पेपरवर्क कम होगा।
  • डिजिटल भुगतान को बढ़ावा: नए कानून से डिजिटल ट्रांजैक्शन और बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा।

 

 

 

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