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भारत में कार निर्माताओं पर भारी जुर्माना: उत्सर्जन मानदंडों का पालन न करने पर 7,300 करोड़ रुपये का जुर्माना संभव।

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नई दिल्ली – भारत में प्रमुख कार निर्माता कंपनियां जैसे ह्यूंदै, महिंद्रा, किआ और होंडा को वित्त वर्ष 2022-23 में फ्लीट उत्सर्जन स्तर (Fleet Emission Level) का अनुपालन न करने पर भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन कंपनियों को कॉर्पोरेट औसत ईंधन दक्षता (CAFE) मानकों को पूरा न कर पाने के कारण लगभग 7,300 करोड़ रुपये का जुर्माना हो सकता है।

2022 में CAFE मानकों को कड़ा किया गया था, और अब इन कंपनियों पर उत्सर्जन जुर्माना लगाने पर अंतिम फैसला बाकी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत के उत्तरी हिस्से, खासकर दिल्ली और आसपास के इलाके, गंभीर प्रदूषण से जूझ रहे हैं, जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) “गंभीर” श्रेणी में पहुंच गया है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों ने BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है।

कौन कितने जुर्माने का होगा शिकार?

रिपोर्ट के अनुसार, ह्यूंदै, महिंद्रा और किआ को इस जुर्माने का बड़ा हिस्सा चुकाना पड़ सकता है। ह्यूंदै को सबसे अधिक लगभग 2,837 करोड़ रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है, जो उसके वार्षिक लाभ का लगभग 60 प्रतिशत है। महिंद्रा को लगभग 1,788 करोड़ रुपये और किआ को 1,346 करोड़ रुपये का जुर्माना हो सकता है।

CAFE मानदंडों के तहत उत्सर्जन जुर्माने को दो स्लैब में बांटा गया है: एक निर्धारित जुर्माना और दूसरे, वाहन निर्माण पर आधारित जुर्माना। इसके तहत प्रति वाहन 50,000 रुपये या 25,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।

कार निर्माताओं की आपत्ति

हालांकि, किसी भी कार निर्माता ने आधिकारिक रूप से इस जुर्माने के बारे में बयान नहीं दिया है, लेकिन उन्होंने केंद्र से CAFE मानदंडों के लागू होने के तरीके पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उनका कहना है कि नए नियमों को लागू करना अनुचित होगा, खासकर वित्तीय वर्ष के अंत तक निर्मित वाहनों पर।

CAFE मानदंड क्या हैं?

CAFE मानदंड, जो भारत में 2017 में पेश किए गए थे, कार निर्माताओं द्वारा अपने बेड़े में उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड की सीमा को निर्धारित करते हैं। 2022 में इन्हें संशोधित किया गया, और नए नियमों के तहत 100 किलोमीटर में 4.78 लीटर से ज्यादा ईंधन की खपत और 113 ग्राम प्रति किलोमीटर से ज्यादा CO2 उत्सर्जन नहीं होना चाहिए।

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