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गाजियाबाद में दशहरा पर शस्त्र पूजन में पति के हाथ से चली गोली महिला पार्षद को लगी, ससुर पर FIR दर्ज

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गाजियाबाद में दशहरा पर शस्त्र पूजन में पति के हाथ से चली गोली महिला पार्षद को लगी, ससुर पर FIR दर्ज


गाजियाबाद के शास्त्री नगर में दशहरा पर शस्त्र पूजन के दौरान महिला पार्षद को गोली लगने के मामले में पुलिस द्वारा उनके ससुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। महिला पार्षद की हालत अब खतरे से बाहर है।

Praveen Sharma हिन्दुस्तान, गाजियाबादMon, 14 Oct 2024 02:59 AM
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गाजियाबाद के शास्त्री नगर में दशहरा पर शस्त्र पूजन के दौरान रजापुर की महिला पार्षद को गोली लगने के मामले में पुलिस द्वारा उनके ससुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। हालांकि, गोली कथित तौर पर पार्षद के पति के हाथों गलती से चली थी। महिला पार्षद की हालत अब खतरे से बाहर है।

जानकारी के अनुसार, पार्षद शशि के पति डॉक्टर पवन गौतम दशहरा पर शस्त्र पूजन के लिए डबल बैरल गन को साफ कर रहे थे। इस बीच गलती से ट्रिगर दबने से गोली चल गई जो शशि गौतम के पैर में जा लगी। हादसा जिस गन से हुआ वह लाइसेंसी है। इस मामले में पार्षद की ओर से कोई शिकायत नहीं दी गई थी।

एसीपी कविनगर अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि स्थानीय पार्षद शशि गौतम को गोली लगी थी और उन्हें इलाज के लिए सर्वोदय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस सब-इंस्पेक्टर मौके पर पहुंची तो पता चला कि दशहरा पर उनके घर में शस्त्र पूजन किया जा रहा था। पार्षद शशि गौतम के ससुर राजकुमार गौतम की लापरवाही के चलते लाइसेंसी डबल बैरल गन से गोली चल गई थी, जो पार्षद को जाकर लगी। सब-इंस्पेक्टर ने पार्षद के ससुर के खिलाफ शिकायत की थी। एसीपी के मुताबिक, पार्षद के ससुर के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज कर आगामी कार्रवाई की जा रही है।

हिंदू धर्म की परंपरा में शस्त्र पूजन का विशेष महत्व

गौरतलब है कि हिंदू धर्म की परंपरा में दशहरा पर शस्त्र पूजन का काफी अधिक महत्व है। हर साल दशहरे के दिन पुलिस, सशस्त्र सैन्य बलों और सेना में विधि-विधान व पारंपरिक रूप से अस्त्र-शस्त्र का पूजन किया जाता है। इसके साथ ही दशहरे के दिन आदि जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित दशनामी संन्यासी परंपरा के नागा संन्यासी अखाड़ों में भी शस्त्र पूजन का विधान है। पिछले 2500 वर्षों से दशनामी संन्यासी परंपरा से जुड़े नागा संन्यासी इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए अपने-अपने अखाड़ों में शस्त्र पूजन करते हैं।



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