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त्योहारी सीजन में दिल्ली के हजारों लोगों को सैलरी का इंतजार, ब्लू ई-बसों के ड्राइवर परेशान; डॉक्टर्स भी जूझ रहे

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दीपोत्सव की तैयारियों को लेकर बाजार गुलजार हैं। देशभर के लोग खरीदारी करने आ रहे हैं, लेकिन दिल्ली में हजारों लोगों को वेतन का इंतजार है। त्योहारी सीजन में तनख्वाह नहीं आने से उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। उन्हें चिंता है कि दशहरा बीतने के बाद दिवाली पर उनके घर दीए कैसे जलेंगे।

दीपोत्सव की तैयारियों को लेकर बाजार गुलजार हैं। देशभर के लोग खरीदारी करने आ रहे हैं, लेकिन दिल्ली में हजारों लोगों को वेतन का इंतजार है। त्योहारी सीजन में तनख्वाह नहीं आने से उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। उन्हें चिंता है कि दशहरा बीतने के बाद दिवाली पर उनके घर दीए कैसे जलेंगे। जरूरत के सामान कैसे खरीद पाएंगे। इनमें शिक्षक, ड्राइवर, नर्स, सुरक्षा गार्ड ही नहीं बल्कि ठेका कर्मचारी भी शामिल हैं। मंगलवार को ‘हिन्दुस्तान’ ने पड़ताल की तो ये हालात सामने आए…

जल बोर्ड कर्मियों को वेतन नहीं मिला

दिल्ली जल बोर्ड में ठेकेदार के माध्यम से नौकरी पर रखे गए कर्मचारियों को दो महीने से वेतन नहीं मिला है। इस वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। चंद्रावल क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि दो महीने पहले नए ठेकेदार को ठेका मिला था। उस वक्त पुराने ठेकेदार पर उनका 12 दिन का वेतन बकाया था, लेकिन इसका भुगतान नहीं किया गया। अब दो महीने से ज्यादा बीत चुके हैं, परंतु वेतन नहीं मिला है।

ठेकेदार रखते हैं तीन से चार महीने का बकाया

दिल्ली जल बोर्ड की कर्मचारी यूनियन जल-मल कामगार संघर्ष मोर्चा के प्रधान संतराम ने बताया कि हजारों प्राइवेट कर्मचारियों को दो महीने से पगार नहीं मिली। अधिकांश ठेकेदार तीन से चार महीने का वेतन रोककर रखते हैं, ताकि कर्मचारी नौकरी छोड़कर किसी दूसरी जगह न जा सके। अगर कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया तो उनके लिए दिवाली और अन्य त्योहार मनाना मुश्किल हो जाएगा।

चार महीने से इंतजार कर रहे नर्स कर्मचारी

दिल्ली सरकार के अस्पतालों में अनुबंध पर काम करने वाले सैकड़ों नर्स कर्मियों को चार माह से वेतन नहीं मिला है, जबकि वे नियमित सेवाएं दे रहे हैं। नर्सों के संगठन जेपीसीएच नर्सिंग ऑफिसर वेलफेयर एसोसिएशन ने इस मामले पर उपराज्यपाल को पत्र लिखकर तुरंत वेतन जारी कराने की मांग की है। संगठन के महासचिव अनीस गुप्ता ने बताया कि वेतन नहीं मिलने के कारण कर्मचारी परेशान हैं।

मेडिकल बिल और बाकी मदों का भुगतान भी नहीं

दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित 12 कॉलेजों में शिक्षकों का वेतन तो जारी हो गया है, लेकिन कुछ कॉलेजों का कहना है कि उनके यहां अभी सेंशन लेटर ही नहीं आया है। इस वजह से सितंबर का वेतन शिक्षकों व कर्मचारियों को नहीं दिया गया है। डीयू से संबद्ध और दिल्ली सरकार से वित्तपोषित 12 कॉलेजों में से एक दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. हेमचंद ने बताया कि हमारे यहां ही नहीं, कई कॉलेजों में वेतन के संदर्भ में सेंशन लेटर नहीं आया है। हमारे यहां 124 शिक्षक और 60 से अधिक कर्मचारियों को सितंबर का वेतन नहीं मिला है। ज्ञात हो कि 13 अक्तूबर को इन 12 कॉलेजों के वेतन के लिए दिल्ली सरकार ने तीसरी तिमाही में भी लगभग 100 करोड़ रुपये जारी करने का निर्देश दिया था। हालांकि, एक कॉलेज के शिक्षक का कहना है कि भुगतान में देरी होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब भी हमारा मेडिकल बिल, एलटीसी व अन्य मदों के पैसों का भुगतान नहीं हुआ है।

हड़ताल के बाद ही होती है सुनवाई

दिल्ली नगर निगम के हिंदूराव अस्पताल में भी डॉक्टरों को वेतन नहीं मिलने की समस्या से जूझना पड़ रहा है। अगस्त में डॉक्टर अपने पुराने वेतन के लिए धरने पर बैठे तो उन्हें दो माह का पुराना वेतन दिया गया, लेकिन अब उन्हें फिर से सितंबर का बकाया वेतन नहीं मिला है। अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि डॉक्टरों को हर तीन से चार माह में अपने बकाया वेतन के लिए हड़ताल पर जाना पड़ता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। वेतन के लिए एक व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।

ब्लू ई-बसों के 600 ड्राइवर परेशान होकर हड़ताल पर गए

दिल्ली में ब्लू इलेक्ट्रिक बसों के लगभग 600 ड्राइवरों को वेतन नहीं मिला है। इस वजह से रोहिणी सेक्टर-37 डिपो में ड्राइवरों ने बसों का संचालन बंद कर दिया है। डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के महासचिव मनोज शर्मा ने बताया कि ड्राइवरों को सितंबर का वेतन नहीं मिला है। इन बसों को चलाने वाले ड्राइवर ठेके पर काम कर रहे हैं। इनको नियुक्त करने वाली कंपनी ने इनका वेतन जारी नहीं किया है। उन्होंने कहा कि देरी से वेतन मिलने से की वजह से चालकों को कई तरह की आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई ड्राइवरों को तो कर्ज तक लेना पड़ रहा है।



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